शून्य कार्बन उत्सर्जन और हरित ऊर्जा को बढ़ावा देकर भारत न सिर्फ प्रदूषण से लड़ने में कामयाब होगा, बल्कि जीडीपी का आकार और नौकरियां पैदा करने में भी बड़ी सफलता हासिल कर सकता है।
वैश्विक थिंक टैंक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) ने जारी एक रिपोर्ट में दावा किया कि भारत 2050 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करता है, तो उसकी अर्थव्यवस्था का आकार 30.25 लाख करोड़ रुपये बढ़ जाएगा।
पिछले दिनों ग्लासगो जलवायु सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारत 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन वाला देश बन जाएगा। इतना ही नहीं 2030 तक हम अपनी जरूरत की 50 फीसदी ऊर्जा नवीकरणीय स्रोतों (सौर, पवन) से हासिल करेंगे।
वित्त मामलों की स्थायी समिति के चेयरपर्सन जयंत सिन्हा ने कहा, शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने के लिए हमैं कानूनी रूप से भी सख्त कदम उठाने होंगे।
उन्होंने महंगाई को लेकर चिंता जताई और कहा कि पेट्रोल-डीजल जैसी ऊर्जा के प्रमुख स्रोतों की कीमतों में लगातार हो रहे इजाफे से सतत विकास की ओर बढ़ रही वैश्विक अर्थव्यवस्था पर कुछ दबाव जरूर दिखेगा।