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बाराबंकी। मातृभाषा व मातृभूमि की उपेक्षा अधोगति का कारण होती है, जबकि अपनी बोली बानी अमृततुल्य होती है।

बाराबंकी। मातृभाषा व मातृभूमि की उपेक्षा अधोगति का कारण होती है, जबकि अपनी बोली बानी अमृततुल्य होती है।
उक्त विचार प्रो0 रवि शंकर सिंह कुलपति अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या ने बाराबंकी का साहित्य इतिहास (शोध संदर्भ) पुस्तक का विमोचन करने के उपरांत ऑडिटोरियम जीआईसी मैदान में शनिवार को व्यक्त किए।
प्रो0 श्री सिंह ने कहा बाराबंकी के साहित्यकारों ने जनपद का इतिहास सहेज कर नई पीढ़ी के हाथों में सौंपने का जो पावन महत्व का कार्य किया है, यह एक ऐतिहासिक धरोहर है और सच्चे अर्थों में यह कार्य पूर्वज साहित्यकारों के लिए वास्तविक श्रद्धांजलि है। अपने सम्बोधन में श्री सिंह ने यह भी कहा कि अवध क्षेत्र में रहने वाले लोग यदि अवधी में लेखन कार्य व वार्तालाप नहीं करेंगे तो यह मातृभाषा के प्रति नैतिक अपराध होगा। अवध विश्वविद्यालय ने अवधी में डिप्लोमा कोर्स जारी किया है, जिसका पहला सत्र आरम्भ होने वाला है। यह डिप्लोमा अवधी के विकास व संवर्धन में मील का पत्थर साबित होगा। श्री सिंह ने यह भी कहा कि अवधी भाषा को समृद्ध बनाने में श्री राम चरितमानस और गोस्वामी तुलसीदास जी का अनन्य योगदान है।
विमोचन समारोह की अध्यक्षता करते हुए उपेन्द्र सिंह रावत सांसद बाराबंकी ने संपादक द्वय पंकज कँवल व प्रदीप सारंग की सराहना करते हुए कहा कि हमें पुनः अपनी पुरातन संस्कृति को विकास का आधार बनाना होगा। संस्कृति से इतर किए गए विकास का ही परिणाम है कि आज सम्पूर्ण पृथ्वी विभिन्न प्रकार से पीड़ित है और मानवता पर्यावरणीय प्राकृतिक प्रकोपों को झेल रही है। सांसद ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री जी भारतीय संस्कृति और भारतीयता की रक्षा के लिए लगातार योजनाओं का क्रियान्वयन कर रहे हैं। सांसद ने सम्बोधन के दौरान पुस्तक प्रकाशन की समुचित व्यवस्था कराने हेतु विधान परिषद सदस्य इं0 अवनीश कुमार सिंह को धन्यवाद देते हुए कहा कि जनप्रतिनिधियों को साहित्य और अपनी बोलीबानी के विकास हेतु आगे आना चाहिए।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ0 वाईपी सिंह, अध्यक्ष हिन्दी विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ ने कहा किसी रचनाकार कि अप्रकाशित रचनाओं का उसके ना रहने के बाद प्रकाशन कराया जाना मरणोपरांत किसी भारत रत्न से कम नहीं होता है।
काशी हिंदू विश्विद्यालय हिंदी विभाग से आई डॉ. विद्योत्तमा मिश्रा ने कहा साहित्य सर्जन एक प्रकार की साधना है साधक तो चला ही जाता है किंतु साधना अमर रहती है।
साधना के अमृत बिंदुओं को सहेज कर नवनिर्माण का पथ प्रशस्त करना प्रसंसनीय कार्य है।
राजकीय महाविद्यालय कानपुर हिंदी विभाग से आए डॉ. अनिल अविश्रान्त ने कहा कि आज इस कार्यक्रम में चार पुस्तकों के विमोचन संपन्न हुए हैं। गूगल और इंटरनेट के बढ़ते प्रभाव के बावजूद पुस्तकों की उपादेयता किसी भी रुप में कम नहीं हुई है। पुस्तकों का अपना संसार है और पुस्तकें हमारी ऐतिहासिक सांस्कृतिक विरासत हो कई कई पीढ़ियों तक ले जाने में समर्थ माध्यम हैं।
दस चरणों में आयोजित पूर्वज साहित्यकार जन्मभूमि दर्शन यात्राओं में शामिल यात्रा दल के पांच दर्जन साहित्यकार/विद्वतजनों को मुख्य अतिथि द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
समारोह में विष्णु कुमार शर्मा कुमार द्वारा रचित पुस्तक ‘नारी की गौरव गरिमा’, सिरौलीगौसपुर क्षेत्र निवासी युवा रचनाकार ऋषभ वर्मा द्वारा रचित उपन्यास ‘रूहानी’ तथा इकबाल राही द्वारा लिखित पुस्तक ‘हिन्दी राष्ट्र भाषा’ के विमोचन भी सम्पन्न हुए।

अवधी डिप्लोमा आरम्भ करने हेतु कुलपति प्रो0 रवि शंकर सिंह का विशेष अभिनन्दन एडवोकेट योगेन्द्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में जिला बार एसोसिएशन बाराबंकी, विक्रम सिंह के नेतृत्व में सरदार पटेल समाजोत्थान संगठन, धीरेन्द्र वर्मा के नेतृत्व में सरदार पटेल संस्थान, दिलीप वर्मा के नेतृत्व में जगमग इण्डस्ट्रीज, रजत बहादुर वर्मा के नेतृत्व में ग्रीनगैग पर्यावरण सेना सहित विभिन्न संगठनों द्वारा स्मृतिचिन्ह, अंगवस्त्र, उपहार देकर किया गया।

समारोह में अवधी लोक गायिका पूजा पाण्डेय व तान्या भारद्वाज द्वारा अवध क्षेत्र में प्रचलित लोकगीतों का सभिनय प्रस्तुतियों ने लोगों का मन मोह लिया।

इतिहास संग्रह अभियान के निर्देशक डॉ0 विनय दास, अजय सिंह ‘गुरुजी’ एवं डॉ0 श्याम सुंदर दीक्षित, समन्वयक डॉ0 बलराम वर्मा, धीरेन्द्र चौधरी, पंकज गुप्ता पंकी, सदानन्द ने भी विचार व्यक्त किए। संरक्षक अवधी सम्राट राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त डॉ0 राम बहादुर मिश्र द्वारा आभार प्रदर्शन धन्यवाद ज्ञापन किया गया। आम जन को प्राकृतिक ऊर्जा के उपयोग हेतु प्रेरित करने के लिए पैरा सोलर लिमिटेड व जगमग इण्डस्ट्रीज द्वारा प्रदर्शनात्मक स्टाल लगाया गया। इस मौके पर प्रधानाचार्य परिषद के अध्यक्ष अशोक त्रिपाठी, शशि प्रभा, नीता वर्मा, किरन भारद्वाज,ऐशवर्या भारद्वाज, अब्दुल खालिक, अनुपम वर्मा, वीरेन्द्र नेवली, आशीष आनन्द, ज्ञानेन्द्र पाठक, अजय प्रधान, रमेशचन्द्र, सुभाष चन्द्र वर्मा, अनुज अब्र आदि मौजूद रहे।