केंद्र सरकार द्वारा कृषि कानूनों की वापसी के निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त किए गए पैनल की प्रतिक्रिया सामने आई है। पैनल के सदस्यों का कहना है कि सरकार का तीन कृषि कानून वापस लेने का फैसला बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
कहीं पर किसानों ने मिठाइयां बांटी तो कई जगहों पर जलेबी बांटकर खुशियां मनाईं। कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले एक साल से ही आंदोलन कर रहे थे। अन्नदाताओं के आगे सरकार को आखिरकार झुकना पड़ा, लेकिन क्या पीएम मोदी की घोषणा करने भर से कृषि कानून निरस्त हो गए? तो ऐसा नहीं है।
कानून निरस्त करने की एक संवैधानिक प्रक्रिया होती है। इसके लिए संसद में सरकार को संवैधानिक प्रक्रिया को पूरी करनी होगी। संविधान और विधि विशेषज्ञों की मानें तो सरकार को तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए संसद में विधेयक लाना होगा। आखिर क्या है वह प्रक्रिया? आइए विस्तार से समझते हैं…