ए के सिह संवाददाता
औरैया पांच नदियों के संगम के किनारे बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित जुहीखा गांव में क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी, इटावा डॉ. कप्तान सिंह के निर्देशन में और चंबल फाउंडेशन के संस्थापक शाह आलम के सहयोग से बाढ़ राहत चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। इस दौरान बाढ़ से पीड़ित गाँव के लोगों को दवाईयां वितरित की गईं. इसके साथ ही बाढ़ के दूषित पानी से होने वाली बीमारियों से कैसे बचें, इसके तरीके भी ग्रामीणों को चिकित्सकों द्वारा बताये गए.
क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी विभाग और चम्बल फाउंडेशन द्वारा बाढ़ पीड़ित इलाके में ये चौथा चिकित्सा शिविर है. इससे पहले इटावा जनपद में तीन शिविर लगाकर पीड़ितों पर मरहम लगाया गया था।
आयुष आपके द्वार के तहत लगे इस शिविर में क्षेत्रीय आयुर्वेद एवं यूनानी अधिकारी डॉ. कप्तान सिंह ने बताया कि बाढ़ की विभीषिका के बाद संक्रामक रोग उत्पन्न न हो, हमें इसके लिए लगातार प्रयास करना होगा। जितना संभव हो सके पानी को उबाल कर प्रयोग करें। नीम की पत्ती डाल कर उबला हुआ पानी साफ सफाई में प्रयोग करें।
डॉ. आलोक गुर्जर ने बताया कि गन्दे पानी से डायरिया की बीमारी बढ़ सकती है, इसके लिए लगातार तरल पदार्थ लेते रहें और नमक चीनी के घोल के साथ पानी की भरपूर मात्रा पीयें।
डॉ. मानवी ने बताया कि इस गांव में महिलाओं को त्वचा रोग की समस्या सबसे ज्यादा है. इसके लिए महिलाएं साफ-सफाई का ध्यान रखें। अपने और अपने बच्चों के कपड़े तेज़ कड़ी धूप में सुखा कर ही इस्तेमाल करें। डॉ. कमल कुमार कुशवाहा ने बताया कि ज्यादा पानी में रहने से लगभग 70 प्रतिशत लोगों के पैरों में गलन और फोड़े फुंसियाँ हो रही हैं. इससे बचने के लिए पैरों को ज्यादा से ज्यादा सूखा रखें। नदी या बाढ़ के पानी से आने के बाद तुरंत पैरों को साफ पानी से ज़रूर धुलें।
इस गांव में विशेष तौर पर सभी बच्चे और महिलाएं मौसमी बुखार से पीड़ित मिले हैं. ये बुखार बाढ़ के पानी में नहाने से फैला है। जुकाम होने पर कोविड की जांच भी कराएं. साथ ही आयुर्वेदिक दवा अमृतारिष्ट का सेवन करें। कमर दर्द, जोड़ दर्द के लिए नियमित योग करने की सलाह दी। राम संजीवन और शेषा ने दवा वितरण का कार्य किया। रजिस्ट्रेशन काउंटर पर बैठे मधुकर ने बताया कि कुल 174 मरीजो का रजिस्ट्रेशन हुआ। इस आयोजन में वीरेंद्र सिंह सेंगर, मास्टर विनोद सिंह गौतम, सोनू निषाद का सहयोग सराहनीय रहा।