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यदि आपको भी सोते समय अचानक होने लगता हैं सांस रुकने या दम घुटने का अहसास तो हो जाए सतर्क !

स्लीप पैरालिसिस यानी ऐसी स्थिति जब दिमाग और शरीर के बीच संतुलन या तालमेल नहीं रह जाता है। ये स्थिति लकवे की तरह शरीर को कुछ सेकेंड के लिए शिथिल कर देती है। हालांकि ये अवस्था 5 से 15 सेकेंड तक रहती है। इसमें दिमाग तो एक्टिव रहता है और सबकुछ देख सकता है। वहीं, शरीर हिलने-डुलने से इंकार कर देता है। कई बार व्यक्ति हिलने-डुलने के साथ ही बोलने की शक्ति भी खो देता है।

स्लीप पैरालिसिस की अवस्था में शरीर का नींद से उठने के बाद जोर नहीं रहता। वहीं, दिमाग का सिग्नल बॉडी रिसीव नहीं कर पाती गै। इससे शरीर के किसी भी हिस्से को हिलाना तक मुश्किल हो जाता है।

कुछ लोगों को इस दौरान सांस रुकने या दम घुटने जैसा अहसास भी हो सकता है। वहीं, कुछ में इस तकलीफ के साथ नार्कोलैप्सी जैसे नींद से जुड़े अन्य डिसऑर्डर भी हो सकते हैं। वैसे तो स्लीप पैरालिसिस जानलेवा नहीं लेकिन रेयर केस में ये गंभीर मनोवैज्ञानिक समस्याओं का कारण बन सकती है।

क्यों नहीं हिलता शरीर
आप दो चरणों के बीच नींद लेते हैं। पहला नॉन रैपिड आई मूवमेंट (NREM)और दूसरा रैपिड आई मूवमेंट (REM)। जब आप दूसरे चरण में पहुंचते हैं, तो नींद गहरी होती है और इसी के साथ बंद आंखें भी तेजी से मूवमेंट करती हैं। इसी दौरान दिमाग शरीर को शिथिल कर देता है। इससे आप गहरी नींद में सपने देखते हुए उन पर प्रतिक्रिया ना दें।

कई बार कुछ सेकेंड के लिए हल्की नींद टूट जाती है पर शरीर शिथिल रहता है। कई बार लोग इस दौरान मतिभ्रम का शिकार भी हो जाते हैं। वह भूत या कुछ ऐसी चीजें देखने की बात करते हैं, जिनका कोई अस्तित्व नहीं होता।

ऐसे करें नियंत्रित

  1.  वैसे तो स्लीप पैरालिसिस खतरनाक नहीं होती लेकिन लंबे समय तक रहने पर यह नुकसानदायक हो सकती है। इसे नियंत्रित करने के लिए आप आरामदायक और गहरी नींद लें।
  2. तनाव, डिप्रैशन और स्ट्रेस के चलते स्लीप पैरालिसिस की समस्या हो सकती हैं। इसलिए तनाव और डिप्रैशन से बचने की कोशिश करें। सोते समय टीवी, लैपटॉप या फोन इस्तेमाल से बचें।
  3.  शुरू में मेडिटेशन 5-10 मिनट करें और धीरे-धीरे आप 20-30 मिनट के लिए मेडिटेशन करना शुरू करें। रोज मेडिटेशन करने से आप जल्दी ही स्लीप पैरालिसिस से उभर जाएंगे।
  4. डॉक्टर के संपर्क में रहें।

ये हैं कारण
स्लीप पैरालिसिस ड्रग्स, एल्कोहल का सेवन और नींद की कमी के चलते ये समस्या होती है। इसके अलावा यह समस्या तनाव, चिंता, अवसाद, नींद का अनियमित समय, अत्यधिक नींद भी इसके कारण है। वहीं, पीठ पर टिककर सोना, बाइपोलर डिसऑर्डर, पूरी नींद न लेना, लाइफस्टाइल में बदलाव और अनुवांशिक कारण से भी स्लीप पैरेलिसिस हो सकता है।