पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण उत्तराखंड में अब सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तर्ज पर सकल पर्यावरणीय उत्पाद (जीईपी) का आकलन भी हो सकेगा। शासन की ओर से अब इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है।
अपर मुख्य सचिव, वन एवं पर्यावरण आनंद बर्द्धन की ओर से इस संबंध में अधिसूचना जारी की गई है। अधिसूचना के अनुसार जीडीपी एक विशिष्ट समयावधि में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के कुल बाजार मूल्य का आकलन करता है।
यह जीडीपी की वास्तविक तस्वीर को प्रदर्शित नहीं करता। अब जीईपी का आकलन होने पर अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के मध्य बेहतर सामंजस्य स्थापित होगा।
अधिसूचना के अनुसार उत्तराखंड उच्च पारिस्थितिक संवेदनशीलता वाला प्राकृतिक संसाधन समृद्ध राज्य है। इसके दृष्टिगत राज्य के विकास एजेंडे में पर्यावरणीय चिंता का निदान जरूरी है।
पर्यावरणविद् पद्मभूषण डॉ.अनिल प्रकाश जोशी ने वर्ष 2010 में पहली बार जीईपी का मुद्दा उठाया था। राज्य में जीईपी लागू करने के लिए उन्होंने जनहित याचिका दायर कर हाईकोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया था। तत्कालीन प्रमुख सचिव वन आनंद वर्धन की अध्यक्षता में एक कमेटी बनी, जिसने राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान को जीईपी का फार्मूला बनाने का जिम्मा सौंपा।