मैनपुरीं: दर दर की ठोकरे ख़ाने को मजबूर यह महिला जब जिला अधिकारी के दरवार में शिक़ायत लेकर पहुँची तो उसके आँशु थम नही रहे थे।
एक मासूम बच्चे को गोद में लिए यह माँ दर दर की ठोकरे खाने को मज़बूर है।
दरशल विवेक विहार कॉलोनी मैनपुरीं की रहने बाली यह महिला सपना है जो अपने मासूम बच्चे के सर से छत न उठ जाए इसलिए न्याय की चौखट पर उम्मीदों के दिये जला रही है।
यह मजबूर माँ, आशियाना बचाने की हिम्मत में यह भी भूल गयी कि इसकी लड़ाई ठीक वैसी ही है जैसे कोई मेमना किसी खूंखार भेड़िए से उलझने की गुस्ताख़ी करबैठा हो।
दरशल ववेक विहार कॉलोनी के जिस मकान में यह महिला अपने मासूम के साथ रह रही है आज उसी आशियाने पर भूमाफियाओं की नज़र है ओह माफ़ करना मैंने भूमाफिया लिख दिया।
दरशल यह महिला जिस मकान में रहरही है उसे कुछ शरीफ़ लोग अपना तेज दिमाख औऱ इसके ससुर व पत्ति के हालातों का भरपूर फ़ायदा उठाते हुए नाजायज काम को जायज तरीक़े से करने में जुटे है।
इसकी गोद में बैठा यह मासूम बच्चा आज भले ही शासन और प्रसाशन से कुछ न पूछ पा रहा हो परंतु बड़े होने पर जब कोई इसे मानवता का पाठ पढ़ाएगा तो, संगर्ष करती इस माँ के आँशुओ का कर्ज जरूर याद आयेगा।