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लखनऊ पिता का सपना पूरा करने के लिए बेटे आई पी एस असीमअरुण ने ठुकराई पुलिस कमिश्नर की नौकरी लिया बी आर एस कन्नौज से चुनाव लड़ने की संभावना

पिता का सपना पूरा करने के लिए बेटे आई पी एस असीमअरुण ने ठुकराई पुलिस कमिश्नर की नौकरी लिया बी आर एस कन्नौज से चुनाव लड़ने की संभावना

कानपुर पुलिस कमिश्नर की फेसबुक पोस्ट के बाद हर कोई शॉक्ड है। दरअसल, पुलिस कमिश्नर असीम अरुण (IPS Asim Arun) ने वीआरएस के लिए आवेदन किया है। खबरों की मानें तो अब वो कन्नौज से चुनाव लड़ सकते हैं। कन्नौज का नाम इसलिए सामने आ रहा है, क्योंकि कन्नौज जिले में ही उनका पैतृक गांव है। जहां उनके पिता और दो बार यूपी पुलिस (UP Police) में डीजीपी (DGP) रहे श्री राम अरुण ने स्कूल भी बनवाया था। अगर आईपीएस अरुण के पिता की बात करें तो वो समाज सेवा में काफी विश्वास रखते थे। यही वजह है कि अपने पैतृक गांव में उन्होंने स्कूल खुलवाया ताकि गांव के बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके। वहीं आईपीएस (IPS) अरुण भी उन्हीं के नक्शे कदम पर चल कर हमेशा जरूरतमंदों के लिए कुछ न कुछ करते रहते हैं।
*पिता ने बनवाया था स्कूल*
ADG रैंक के असीम अरुण 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। हालांकि असीम अरुण का जन्म बदायूं में हुआ है, लेकिन अपने पैतृक गांव से उनका गहरा लगाव रहा है। यही वजह है कि वह समय-समय पर यहां आते रहे हैं। कानपुर का पहला पुलिस कमिश्नर बनने के बाद भी वह यहां आते रहे हैं। इस साल भी उन्होंने पिता की पुण्यतिथि पर बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया था, जिसमें कई सीनियर अफसर और नेता भी पहुंचे थे। गांव में ही उनके पिता की ओर से स्थापित स्कूल का संचालन भी होता है। ये स्कूल उनके पिता का सपना था ताकि गांव के बच्चों को पढ़ने के लिए दूर न जाना पड़े।
पिता के नक्शे कदम पर आईपीएस असीम अरुण
वहीं अगर अगर कोरोना काल की बात करें तो उस समय जब लोग एक दूसरे के पास जाने से डर रहे थे, तब आईपीएस असीम अरुण फील्ड पर लोगों की मदद में जुटे हुए थे। इतना ही नहीं जब कोविड की दूसरी लहर में लोगों को ऑक्सीजन की जरूरत थी। तब निस्वार्थ भाव से आईपीएस असीम अरुण लोगों तक ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचा रहे थे। इसके साथ ही कानपुर पुलिस कमिश्नर बनने से पहले एडीजी 112 के पद पर तैनात रहने के दौरान कोरोना काल में उन्होंने सराहनीय कार्य किया था। 112 की पीआरवी के जरिये पुलिस ने जिस तरह संक्रमण के काल में जरूरतमंदों की मदद की थी, उससे खाकी की नई छवि सामने आई थी। दोनों बातों को देखते हुए ऐसा कहा जा सकता है कि आईपीएस असीम अरुण अपने पिता के नक्शे कदम पर ही आगे बढ़कर समाज सेवा में कदम बढ़ा रहे हैं। क्योंकि उन्होंने अपनी पोस्ट में भी इस बात का जिक्र किया है, कि मैं प्रयास करूंगा कि महात्मा गांधी द्वारा दिए गए तिलस्म कि सबसे कमजोर और गरीब व्यक्ति के हितार्थ हमेशा कार्य करूं, आईपीएस की नौकरी और अब यह सम्मान, सब बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा अवसर की समानता के लिए रचित व्यवस्था के कारण ही संभव है। मैं उनके उच्च आदर्शों का अनुसरण करते हुए अनुसूचित जाति और जनजाति एवं सभी वर्गों के भाइयों और बहनों के सम्मान, सुरक्षा और उत्थान के लिए कार्य करूंगा। मैं समझता हूं कि यह सम्मान मुझे मेरे पिता स्वर्गीय श्रीराम अरुण एवं माता स्वर्गीय शशि अरुण के पुण्य कर्मों के प्रताप के कारण ही मिल रहा है।