Sunday , November 24 2024

इटावा शिखर जी की पवित्रता बनाएं रखने के लिए पीएम को भेजा ज्ञापन

*शिखर जी की पवित्रता बनाएं रखने के लिए पीएम को भेजा ज्ञापन*

*विश्व जैन संगठन ने की ‘‘पवित्र धर्म स्थली क्षेत्र‘‘ घोषित करने की मांग*

*इटावा* विश्व जैन संगठन इटावा इकाई द्वारा झारखंड राज्य के गिरिडीह जिले के मधुबन में स्थित श्री सम्मेद शिखर जी की पवित्रता बनाएं रखने के लिए प्रधानमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन ऑनलाइन ईमेल के माध्यम से भेजा।
*संगठन के अध्यक्ष आकाशदीप जैन* ने भेजे गए ज्ञापन के विषय में बताया कि झारखंड राज्य के गिरिडीह जिले के मधुबन में स्थित श्री सम्मेद शिखर जी पहाड़ी पौराणिक काल से ही जैन धर्म के अनुयायिओं का सबसे बड़ा तीर्थ क्षेत्र रहा है। *जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में से 20 तीर्थंकरों की निर्वाण स्थली होने के कारण संपूर्ण जैन समाज के लिये सम्मेद शिखर जी पहाड़ का कण-कण एक मंदिर परिसर के समान पूज्यनीय एवं वंदनीय है।* साल के बारहों महीने विश्व भर से लाखों जैन तीर्थयात्री बेहद श्रद्धाभाव के साथ व्रत धारण कर नंगे पैर और शुद्ध सूती वस्त्रों में शरीर को गला देने वाली ठंड या फिर झुलसा देने वाली गर्मी में झारखंड की सबसे ऊंची पहाड़ी की 27 किलोमीटर की इस बेहद कठिन चढ़ाई वाले पहाड़ पर वंदना करने जाते है।सभी जैन तीर्थयात्री पारसनाथ पहाड़ की पवित्रता अक्षुण्ण बनाए रखने को अपना सर्वाेच्च कर्तव्य समझते हैं।
*महामंत्री राजीव जैन* ने कहा कि पिछले कुछ महीनों से श्रद्धा के इस अक्षुण्ण तीर्थ स्थल की पवित्रता और सुचिता को सैर सपाटे व पिकनिक के नाम पर नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है।पिकनिक,ट्रेकिंग या फिर मात्र मनोरंजन के लिये आने वाले यात्री इस पवित्र पहाड़ पर मांसाहार व शराब का सेवन करते पाए गए हैं जो अहिंसा व शान्ति प्रेमी जैन समुदाय के लिये बेहद पीड़ाजनक है साथ ही साथ कभी भी कोई छोटी सी चिंगारी इस पूरे क्षेत्र के साथ-साथ पूरे देश में एक बड़े विवाद व विरोध का कारण बन सकती है। *कोषाध्यक्ष मनोज जैन* ने कहा कि मधुबन सहित सम्पूर्ण पारसनाथ पहाड़ी को ‘‘पवित्र धर्म स्थली क्षेत्र‘‘ घोषित करते हुए क्षेत्र में मांसाहार व शराब के विक्रय के साथ-साथ सेवन के भी कड़े प्रतिबंध व दण्ड को लेकर राजाज्ञा जारी की जाए।
*ज्ञापन भेजने वालों में प्रवक्ता नितिन जैन,विकास जैन,विशाल जैन,आदित्य जैन,गौरवकान्त जैन, नीरज जैन,अर्पित जैन,मन्नू जैन, शेखर जैन* आदि लोग प्रमुख हैं।