सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की ओर से पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा को लेकर सियासत तेज हो गई है। शिक्षकों और कर्मचारियों का एक वर्ग इस घोषणा को उम्मीदों भरी नजर से देख रहा है।
साथ ही इसे कर्मचारी संघर्षों की जीत बता रहा हैं। वहीं बड़ी संख्या ऐसे शिक्षकों और कर्मचारियों की भी है, जो इसे महज चुनावी घोषणा मान रहे हैं।कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी पेंशनर्स अधिकार मंच के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष राजेंद्र त्रिपाठी का कहना है कि अखिलेश यादव की घोषणा का हम स्वागत करते हैं.
इसलिए उम्मीद करते हैं कि यह व्यवस्था लागू होगी। वहीं शिक्षक नेता तथा भाजपा राष्ट्रीय प्रशिक्षण अभियान के शैलेष पांडेय इसे सिर्फ चुनावी घोषणा मानते हैं। शैलेष का कहना है कि केंद्र में 2004 में एनपीएस लागू हुआ।शैलेष का यह भी कहना है कि शिक्षकों और कर्मचारियों की ओर से पुरानी पेंशन की लगातार मांग की जा रही है। इसी का दबाव है कि एनपीएस में जमा होने वाली सरकार की हिस्सेदारी को 10 से बढ़ाकर 14 प्रतिशत कर दिया गया है।