कांग्रेस के चुनाव अभियान के सेनापति हरीश रावत को रामनगर विधानसभा का रण छोड़ना पड़ा है। इस सीट पर कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें चुनाव मैदान में उतार दिया था। लेकिन टिकट के दूसरे प्रबल दावेदार रणजीत सिंह रावत के बागी तेवरों के आगे पार्टी आलाकमान को अपने फैसले को बदलना पड़ा।
प्रदेश में जिस चेहरे को मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा है, उनका अनायास टिकट बदल दिया जाना सियासी हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है। एक टिकट के चक्कर में कांग्रेस को नैनीताल जिले की चुनावी चौसर पर उतारे गए एक नहीं चार-चार मोहरों को उलट पलट और अदल बदल करना पड़ा गया। टिकट बदले जाने से हरीश रावत व्यथित हैं।
उन्होंने अपनी व्यथा कुछ यूं बयान की। मैं भले ही चुनाव नहीं लड़ पा रहा हूं, मगर रामनगर हमेशा मेरे हृदय में रहेगा। खुद को अपराधी बताते हुए उन्होंने लिखा कि पार्टी का आदेश मानना उनका कर्तव्य है। हरीश की व्यथा से यही प्रतीत होता है कि उन्हें बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि पार्टी रामनगर से उनका टिकट बदल कर उन्हें लालकुआं विधानसभा सीट से उतार देगी।