पंकज शाक्य
करहल/मैनपुरी- कस्बा करहल के श्री दिगम्बर जैन पार्श्वनाथ जिनालय में विराजमान मेडिटेशन गुरु विहसन्त सागर जी की त्रिदिवसीय अदभुत साधना के बाद शुक्रवार को प्रवचन में कहा आप सभी लोग रोज पढ़ने व समझने का प्रयास कर रहे हैं। आज हम डॉक्टर का पाठ पढ़ने जा रहे हैं जिसने हमें जीवन जीना सिखाया हमें आध्यात्म की उस गहराई पर ले जाने का प्रयास किया है जिस गहराई को आज तक हमने छुआ नहीं। समुद्र में खूब डुबकी लगाई पर क्या किया हमने समुद्र में डुबकी तो लगाई किन्तु बाहर निकलना मंजूर किया। समुद्र में दो प्रकार की डुबकी लगायी जाती हैं एक डूबा जाता है और दूसरा डुबकी लगाई जाती है जो व्यक्ति डूबता है वह जिंदा नहीं बचता और जो व्यक्ति डुबकी लगाता है तो वह बाहर निकल कर आ जाता है हमें जीवन में डुबकी लगाना है डूबना नहीं है समय सांद्र में आचार्य महाराज कुंदकुंद कहते हैं महानुभाव आपको इस समय में डूबना नहीं है डुबकी लगाना है जब व्यति ने उसके बाद ग्रंथ पड़ा तो ग्रंथ में ऐसे रम गए सब कुछ धर्म लगने लगा। बिना बिना सीढी चढे लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सकता। शुक्रवार के सौ धर्म इन्द्र आलोक जैन , अर्पिता जैन बकेबरिया , कुबेर इन्द्र नरेंद्र जैन शालिनी जैन रपरिया व शांति धारा राजेश मुजवार, शेलेन्द्र जैन, मणि जैन, नरेश जैन, सकक्षम जैन, अर्थव जैन ने की। इस अवसर पर समाज के लोग मौजूद रहे।