इटावा में महाशिवरात्रि के पर्व पर पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी कांवड़ भरने जा रही हैं। करीब 200 किलोमीटर की दूरी महिलाएं पैदल तय कर रही हैं। महिलाओं ने कहा, उनकी मनोकामना पूरी हुई है। इसलिए कांवड़ भरने आए हैं। शिवरात्रि के पर्व पर सिद्ध पीठ पर जलाभिषेक करने की परंपरा है।
शिवरात्रि पर्व के पूर्व शिव भक्त सैकड़ों मील की दूरी तय करते हैं। वैसे तो इसमें हजारों की तादाद में पुरूष होते हैं, लेकिन इस बार बड़ी तादाद में महिलाएं भी कांवड़ भरने जा रही हैं। अपनी मन्नत पूरी होने पर या मन में मन्नत लेकर श्रृंगी रामपुर से महिलाएं गंगा जल भर कर ला रही हैं।
इटावा व मध्य प्रदेश के ग्वालियर, भिंड, मुरैना, शिवपुरी सहित बड़ी तादाद में कांवड़िये इटावा से होकर गुजरते हैं। फर्रुखाबाद के श्रृंगि रामपुर से गंगा जल लेकर मध्य प्रदेश जाने वाले कांवड़िये लगभग 200 किलोमीटर की दूरी तय करके शिवरात्रि पर शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। यह परंपरा हजारों वर्ष पुरानी चली आ रही है।
पुरुषों के साथ महिलाएं भी कदम ताल कर रहीं
इसके लिए शिवरात्रि के 2 दिन पूर्व से ही कांवड़ यात्रा प्रारंभ हो जाती है। इस बार सैकड़ों की संख्या में पुरुषों के साथ महिलाएं भी कदम ताल करते हुए पैदल चल कर कंधे पर कांवड़ रखकर बम-बम भोले के जयघोष करते हुए आगे बढ़ रही हैं।
48 घंटे तक लगातार पैदल चलने वाली महिलाएं आस्था और अटूट विश्वास के साथ मनोकामना अपने मन में लेकर चलती हैं। जिसकी मन्नत पूरी हो जाती है तो वह अगले वर्ष शिवरात्रि पर फिर से कांवड़ यात्रा लेकर आएंगी, जिसकी मन्नत पूरी हो चुकी है या मन्नत मांगी हैं, दोनों स्थितियों में कांवड़ के जरिए मनोकामना पूर्ण प्रदर्शित करते हैं
कुछ महिलाओं से जब बात की गई तो उन्होंने बताया, आस्था और जज्बा इस कदर था कि परिवार के सदस्य कांवड़ लेकर प्रतिवर्ष आते-जाते हैं। इस बार फिर से वह जब आए तो उनके साथ वह भी हिम्मत करके कांवड़ लेकर आ रही हैं। महिला कांवड़िया रेखा बताती हैं, मेरे पिता, भाई सब साथ में हैं। पहली बार हम ग्वालियर से कांवड़ भरने फर्रुखाबाद गए थे। मेरी मनोकामना पूरी हुई है।