*आंगनबाड़ी केंद्र में हुई गोद भराई की रस्म*
जसवंतनगर।नवजात में कुपोषण रोकने के लिए सरकार ने नई पहल की है। इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की जिम्मेदारी तय की गई हैं
सुपोषण के प्रति आम लोगों को जागृत करने एवं उनके व्यवहार परिवर्तन के लिए आँगनवाडी केन्द्रों पर त्रिमासिक तक की गर्भवती महिलाओं की गोदभराई की रस्म अदा की जाती है।
बताते हैं पोषण मिशन के तहत आंगनबाड़ी केंद्र जारीखेड़ा में गोद भराई कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मोनिका पत्नी दीपचन्द्र के गर्भवती होने पर त्रिमासिक महीने पर गोद भराई की रस्म की गई। इस दौरान गर्भवती महिलाओं व बच्चों की देखभाल को लेकर जानकारी दी गई। बताया गया कि प्रथम गर्भवती होने पर महिला को पांच हजार रुपये देखभाल के लिए सरकार द्वारा दिया जाता है।
गर्भवती महिलाओं की अब सरकार गोद भराई करेगी। यह कार्य घर-घर जाकर आंगनबाड़ी कार्यकत्री करेंगी, ताकि गर्भवती महिला स्वस्थ रहें। जब गर्भवती महिला स्वस्थ रहेगी तो पैदा होने वाला बच्चा भी स्वस्थ होगा।
आंगनबाड़ी कार्यकत्री ममता देवी ने बताया कि गोद भराई का मुख्य उद्देश्य गर्भावस्था के दिनों में बेहतर पोषण की जरूरत के विषय में गर्भवती महिलाओं को अवगत कराना है। इस अवसर पर आंगनबाड़ी कार्यकत्री ममता देवी सहायता मनोरमा देवी प्रधानाध्यापक आयशा सहायक अध्यापक सीमा यादव शिक्षामित्र विमलेश के अलावा स्कूल का अन्य स्टाफ भी मौजूद रहा और काफी संख्या में ग्रामीण महिलाएं भी मौजूद रही।
*सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ताकि कुपोषित बच्चे न हों पैदा*
इस प्रयास के पीछे उद्देश्य यह है कि जागरूकता की कमी और अभाव में गर्भवती महिलाओं में खून की कमी आ जाती है। प्रेग्नेंसी के दौरान ध्यान न देने पर महिला कमजोर हो जाती हैं। जिसके कारण पैदा होने वाला बच्चा कमजोर होता है, जो कि कुपोषण और अतिकुपोषण का शिकार हो जाता है। ऐसी स्थिति न पैदा हो इसके लिए गर्भवती महिला को क्षेत्रीय आंगनबाड़ी चिह्नित करेंगी।
*गोद भराई में ये मिलेगा*
– नारियल- हरी और पत्तेदार सब्जी- गुल्लक- मल्टी विटामिन- गुड़ और चना- लौकी- सेब- केला के अलावा मौसमी फलों को दिया जाएगा।
*आंगनबाड़ी की होगी जिम्मेदारी*
इसके लिए सरकार ने आंगनबाड़ी की जिम्मेदारी तय की है। संबंधित आंगनबाड़ी को प्रेग्नेंट महिला की गोद भराई करनी होगी। इसके साथ ही गर्भधारण के दौरान क्या सावधानी और खानपान का ध्यान रखना चाहिए, यह भी प्रेग्नेंट महिला को बताना होगा। ताकि जो बच्चा पैदा हो, वह स्वस्थ्य हो। कुपोषण का शिकार न हो। छह महीने के बच्चों को अन्न प्राशन कराए जाने का कार्यक्रम भी रखा जाय।
*ये हैं जरूरी*
जसवंतनगर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की महिला चिकित्सक डॉ0 रिद्धिमा गौर ने बताया कि गर्भवती महिलाओं को इस दौरान अपने भोजन में गुड़ चना और हरी सब्जियों के साथ मौसमी फलों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करना चाहिए। डॉ गौर ने बताया कि हर मां को छह महीने के बाद बच्चों को अर्ध ठोस आहार जरूर देना चाहिए। क्योंकि छह महीने के बाद बच्चे को मां का दूध पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाता है, जिसके कारण उसका पेट नहीं भर पाता है। जो कि उसके विकास में बाधा बनता है। बच्चे के संपूर्ण विकास के लिए मां के दूध के साथ अर्ध ठोस और पोषक आहार बहुत जरूरी है। बताया कि जिन महिलाओं में खून की कमी हो, उन प्रेग्नेंट महिलाओं को बच्चे को जन्म देने से पहले 180 आयरन की गोलियां लेनी चाहिए और 180 ही जन्म देने के बाद चिकित्सक के परामर्श के अनुसार।
फोटो:-जारीखेड़ा गाँव में गोदभराई की रस्म अदायगी होते हुए