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इटावा केमिकल युक्त रंग त्वचा, आंखों और बालों को पहुंचाते हैं नुकसान-डॉ रिद्धिमा गौर

केमिकल युक्त रंग त्वचा, आंखों और बालों को पहुंचाते हैं नुकसान-डॉ रिद्धिमा गौर

जसवन्तनगर।होली रंगों और खुशियों का त्योहार है, लेकिन लापरवाही से होली खेलने से आपके शरीर और स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। अगर आप कुछ सावधानियां बरतें, तो रंगों के इस पर्व की खुशियों को दोगुना कर सकते हैं।

केमिकल युक्त रंगों का प्रयोग घातक सिद्ध हो सकता है। चिकित्सकों की मानें तो इससे त्वचा के झुलसने के साथ ही सांस और नेत्र रोग जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं। बेहतर है होली पर केमिकल युक्त रंगों से परहेज करें और होली की खुशियां हर्बल रंगों के साथ मनाएं।
उक्त जानकारी देते हुए डॉ सुशील कुमार ने कहा कि होली पर सभी कोविड प्रोटोकाल का भी ध्यान रखें। कोविड संक्रमण से गुज़र चुके लोगों के लिए रसायन युक्त रंग काफी नुकसानदेह साबित हो सकता है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के डॉक्टर रिद्धिमा गौर के अनुसार आजकल होली खेलने के लिए लोग जिन रंगों का ज़्यादातर प्रयोग करते हैं, वह ऐसे रसायनों से तैयार किये जाते है जो लोगों के लिए बेहद ही हानिकारक होते हैं। होली पर जिन लोगों को इस तरह के रंग लगाये जाते हैं, उन्हें त्वचा रोग होने का सर्वाधिक खतरा रहता है।

पारंपरिक तौर पर होली के त्योहार के समय खिलने वाले फू लों से रंग निकाल कर इस त्योहार का आनंद उठाया जाता था। महकने वाले इन प्राकृतिक रंगों में रोगों के उपचार की भी क्षमता होती थी और यह हमारी त्वचा और स्वास्थ्य के लिए भी अच्छे होते थे। गुलाल को त्वचा को कोमल बनाने वाले उसके गुणों के लिए चुना जाता था, जो अन्य नुकसानदेह रंगों से पूरी तरह अलग होता है। लेकिन दूसरी ओर केमिकल वाले रंग त्वचा, आंखों और बाल को काफी नुकसान पहुंचाते हैं।

होली खेलने के पहले

होली खेलने से पहले अपने पूरे शरीर पर तेल लगा लें। बालों पर तेल लगाना न भूलें। सरसों के तेल की जगह नारियल का तेल लगाना बेहतर विकल्प है।

शरीर को ढककर रखें। होली के मौके पर फुल कपड़े पहनना बेहतर रहेगा।

ये सावधानी रखना भी है जरूरी

रंग छुड़ाते समय बहुत अधिक साबुन का इस्तेमाल न करें। इससे त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
रंग छुड़ाते समय मुंह और आंख बंद रखें। ध्यान रखें कि रंग का पानी कान में न जाए।
अगर आपको जलन महसूस हो रही हो, धुंधलापन लग रहा हो, सांस लेने में दिक्कत हो रही हो तो तुरंत अपने करीबी डॉक्टर से संपर्क करें।

न केवल चेहरा-आंख खराब हो सकता है, बल्कि कई तरह की एलर्जी का खतरा रहता है। ऐसे में जरा सी असावधानी उमंग, उल्लास के इस पर्व में भंग डाल सकती है। मेन बाजार, किराना मार्केट आदि इलाकों में रंग-गुलाल के साथ ही अलग-अलग डिजाइन के टोपी, मुखौटे, पिचकारी की दूकानें सज गई हैं।

इसमें बहुत से रंग ऐसे मिल रहे हैं, जो केमिकल युक्त है। रासायनिक रंगों से जितना हो सके बचने की जरूरत है। इसमें रसायन के प्रयोग के साथ ही बालू, मिट्टी का भी इस्तेमाल होता है, जो त्वचा के लिए घातक होता है।   इसके अलावा गुलाल में भी रसायन का इस्तेमाल खूब होता है। इस तरह के गुलाल आठ से दस रुपये तोला मिलता है जबकि हर्बल रंग महंगा होता है।
केमिकल युक्त रंग त्वचा को शुष्क कर देता है। इससे एलर्जी की संभावना अधिक रहती है।   चेहरे और शरीर पर लाल-लाल दाने के साथ ही आंख में रासायनिक रंग जाने से रोशनी जाने का खतरा रहता है। मुंह में रंग जाने से छाले पड़ सकते हैं। हर्बल रंगों का ही इस्तेमाल करना चाहिए।