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इटावा, कलश यात्रा का स्वागत, श्रीमद्भागवतऔर रामकथा का शुभांरभ

कलश यात्रा का स्वागत, श्रीमद्भागवतऔर रामकथा का शुभांरभ

जसवन्तनगर।क्षेत्र के बीहड़ी गांव नगला तौर के रामलीला मैदान में शनिवार को श्रीमदभागवत कथा के आयोजन से पूर्व भव्य कलश यात्रा निकाली गई। यात्रा का जगह-जगह पुष्प वर्षा के साथ स्वागत किया गया।
रामलीला मैदान में श्रीमद्भागवत कथा की शुरुआत हुई। शनिवार को गाजेबाजे के साथ भव्य कलशयात्रा निकाली गई। सौभाग्यवती महिलाओं ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।जिनमें51 महिलाओं और युवतियो ने कलश यात्रा निकाली।
कलश यात्रा सप्त धारा नीलकण्ठ आश्रम से प्रारम्भ होकर कार्यक्रम स्थल रामलीला मैदान पर पहुंचकर संपन्न हुई। तत्पश्चात विधिवत पूजन के साथ कथा का शुभारंभ हुआ।
रामलीला मैदान में कथा आरंभ होने से पूर्व कलश यात्रा निकाली गई, जिसमें महिलाएं भक्ति गीतों को गुनगुनातीं हुए सिर पर कलश रखकर शामिल हुईं। कलश यात्रा कथा स्थल पंडाल में पहुंचकर संपन्न हुई। यात्रा का कई जगह पुष्प वर्षा के साथ स्वागत किया गया। यात्रा के समापन के बाद विधिवत पूजन के साथ कथा प्रारंभ की गई। कथा व्यास साध्वी अर्चना त्रिपाठी वृन्दावन ने कहा कि भागवत केवल एक पुस्तक ही नहीं है, अपितु साक्षात भगवान श्रीकृष्ण का ही स्वरूप है। यह बात स्वयं नारायण भगवान भागवत के 11 वें स्कंद में स्वीकार करते है। श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करने से कलियुग में सभी प्रकार के कष्टों का नाश होता है। वहीं पितरों को मुक्ति भी मिलती है।

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वहीं वृन्दावन धाम से राम कथा कहने के लिए पधारे अरविन्द दुबे ने कहा रामकथा जीवन मुक्त विषयी साधक और सिद्ध सभी को इच्छित फल प्रदान करती है। रामकथा यमदूतों के मुख पर कालिख पोतने वाली जीवन मुक्ति देने वाली काशी के समान है। महाराज ने रामकथा की तुलना पुण्य सलिला गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा और मंदाकनी से की गई है।

भनिति बिचित्र सुकबि कृत जोऊ। राम नाम बिनु सोह न सोउ॥
बिधुबदनी सब भाँति सँवारी। सोह न बसन बिना बर नारी॥2॥
भावार्थ:- अच्छे कवियों के द्वारा रची हुई सुंदर रचनाएं भी राम नाम के बिना वैसे ही शोभाहीन है जैसे चन्द्रमा के समान मुख वाली सुंदर स्त्री सब प्रकार से सुसज्जित होने पर भी वस्त्र के बिना शोभा नहीं देती.
सब गुन रहित कुकबि कृत बानी। राम नाम जस अंकित जानी॥
सादर कहहिं सुनहिं बुध ताही। मधुकर सरिस संत गुनग्राही॥3॥
भावार्थ:- इसके विपरीत, कविता की कला से हीन पुरुष जिसकी कविता रचना के सभी गुणों से रहित हो फिर यदि उसमें श्रीराम के नाम एवं यश का गान है तो बुद्धिमान लोग उसे आदरपूर्वक सुनते हैं क्योंकि संतजन तो भौंरे जैसे होते हैं जो सिर्फ गुण ही ग्रहण करते हैं.
जदपि कबित रस एकउ नाहीं। राम प्रताप प्रगट एहि माहीं॥
सोइ भरोस मोरें मन आवा। केहिं न सुसंग बड़प्पनु पावा॥4

अन्य गाँव से आई महिला श्रद्धालुओं ने ढोल नगाड़ों की धुन पर नृत्य किया। इस दौरान महिला श्रद्धालुओं के अलावा गांव के गणमान्य लोग भी मौजूद रहे।

कथा वाचिका साध्वी अर्चना त्रिपाठी और रामकथा वाचक अरविन्द दुबे ने कथा स्थल पर विधिविधान के साथ कलशों की स्थापना कराई। इस दौरान यज्ञपति फ्रेश कुमार उर्फ करू व्योपारी ने सपत्नीक किरण देवी व परीक्षित सदाराम ने सपत्नीक माया देवी के संग पूजा पाठ संम्पन कराई।नवरात्रि के प्रथम दिवस 2अप्रैल से कथा प्रारम्भ होकर नवमीं10अप्रैल को कथा समापन के बाद11अप्रैल दसवीं को पूर्ण आहुति और प्रसाद वितरण किया जाएगा।

इस अवसर पर व्यवस्थापक समस्त ग्राम वासी और क्षेत्र वासियों के साथ गिर्राज पाठक, उमाशंकर पाठक, राजीव पाठक उर्फ करू दाड़ीवाले,राधे भैया, अभय सिंह तोमर, राजनारायण भारद्वाज,लालू मिश्रा, लल्लू तोमर,सत्यवीर बघेल, मुरारी डीलर,नेतराम फौजी,सहीराम मास्टर दिनेश प्रजापति आदि लोग व्यवस्था करने में जुटे थे।