भरथना
क्षेत्र अंतर्गत बिबौली गांव में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन
के दौरान जगद्गुरू श्री वल्लभाचार्य जी महाराज ने बताया कि भगवान ने ब्रजवासियों को बैकुंठ धाम के दर्शन कराया लेकिन वृंदावन के आगे बैकुंठ भी ब्रजवासियों को नीरस ही लगा क्योंकि भगवान जितने सुलभ वृंदावन में थे, उतने सुलभ वैकुंठ में नहीं है इसलिए बृजवासी बैकुंठ की अपेक्षा ब्रजभूमि में ही रहना पसंद करते हैं । महारास की कथा कहते हुए जगतगुरु जी ने बताया की जीवात्मा और परमात्मा का शाश्वत मिलन ही महारास का वास्तविक स्वरूप है समस्त गोपियां पूर्व जन्म के संत महात्मा ही थे जो द्वापर में श्री कृष्ण को प्राप्त कर सके। महाराज श्री ने श्री रुक्मिणी कृष्ण विवाहोत्सव का भव्य स्वरूप प्रगट किया जिसमे रुक्मिणी कृष्ण का दिव्य विवाह मैथिल पद्धति से मनाया गया दिव्य बारात के साथ विवाह के सुंदर मांगलिक मैथिल भजनों से परिसर गूंज उठा, इस दौरान पंडाल में मौजूद कई महिला-पुरुष श्रध्दालु मौजूद रहे।