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औरैया,गर्मी में पशुओं की विशेष देखभाल जरूरी- पशुपालन वैज्ञानिक*

*औरैया,गर्मी में पशुओं की विशेष देखभाल जरूरी- पशुपालन वैज्ञानिक*

*औरैया।* कृषि विज्ञान केंद्र ग्वारी अछल्दा के पशुपालन वैज्ञानिक बृज विकाश सिंह ने बताया कि गर्मी में पशुपालन करते समय पशुओं की विशेष देखभाल की जरुरत होती है क्योकि बेहद गर्म मौसम में, जब वातावरण का तापमान ‍ 42-48 ° सेंटीग्रेट तक पहुँच जाता है और गर्म लू के थपेड़े चलने लगतें हैं तो पशु दबाव की स्थिति में आ जाते हैं। इस दबाव की स्थिति का पशुओं की पाचन प्रणाली और दूध उत्पादन क्षमता पर उल्टा प्रभाव पड़ता है। गर्मी में पशुपालन करते समय नवजात पशुओं की देखभाल में अपनायी गयी तनिक सी भी असावधानी उनकी भविष्य की शारीरिक वृद्धि , स्वास्थ्य , रोग प्रतिरोधी क्षमता और उत्पादन क्षमता पर स्थायी कुप्रभाव डाल सकती है। इस मौसम में पशुओं को भूख कम लगती है और प्यास अधिक, इस लिए पशुओं को पर्याप्त मात्रा में दिन में कम से कम तीन बार पानी पिलाना चाहिए। जिससे शरीर के तापक्रम को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इसके अलावा पशु को पानी में थोड़ी मात्रा में नमक एवं आटा मिलाकर पानी पिलाना चाहिए।पर्याप्त मात्रा में साफ सुथरा ताजा पीने का पानी हमेशा उपलब्ध होना चहिये।पीने के पानी को छाया में रखना चाहिये।पशुओं से दूध निकालनें के बाद उन्हें यदि संभव हो सके तो ठंडा पानी पिलाना चाहिये। गर्मी में 3 – 4 बार पशुओं को अवश्य ताजा ठंडा पानी पिलाना चहिये। पशु को प्रतिदिन ठण्डे पानी से भी नहलाने की सलाह दी जाती है।भैंसों को गर्मी में 3-4 बार और गायों को कम से कम 2 बार नहलाना चाहिये ।पशुओं को नियमित रूप से खुरैरा करना चाहिये। पशुओं को सुबह नौ बजे के पूर्व और सायं पांच बजे के बाद ही चराना चाहिए, पशु बाड़े को ठंडा रखें संभव हो तो बाड़े में पंखे की व्यवस्था करें, गर्मी के मौसम में दुग्ध उत्पादन एवं पशु की शारीरिक क्षमता बनाये रखने की दृष्टि से पशु आहार का भी महत्वपूर्ण योगदान है। गर्मी में पशुपालन करते समय पशुओं को हरे चारे की अधिक मात्रा उपलब्ध कराना चाहिए. इसके दो लाभ हैं, एक पशु अधिक चाव से स्वादिष्ट एवं पौष्टिक चारा खाकर अपनी उदरपूर्ति करता है, तथा दूसरा हरे चारे में 70-90 प्रतिशत तक पानी की मात्रा होती है, जो समय-समय पर जल की पूर्ति करता है. प्राय: गर्मी में मौसम में हरे चारे का अभाव रहता है. इसलिए पशुपालक को चाहिए कि गर्मी के मौसम में हरे चारे के लिए मार्च, अप्रैल माह में चारी (ज्वार), मूंग , मक्का, आदि की बुवाई कर दें जिससे गर्मी के मौसम में पशुओं को हरा चारा उपलब्ध हो सके. पशुपालक हमेशा ध्यान रखें की हरा चारा सिंचाई के बाद ही खिलाएं खेत में नहीं होने पर ही चारा काटें, ऐसे पशुपालन जिनके पास सिंचित भूमि नहीं है, उन्हें समय से पहले हरी घास काटकर एवं सुखाकर तैयार कर लेना चाहिए. यह घास प्रोटीन युक्त, हल्की व पौष्टिक होती है। गर्मी के दिनों में पशुओं के आवास प्रबंधन: पशुपालकों को पशु आवास हेतु पक्के निर्मित मकानों की छत पर सूखी घास या कडबी रखें ताकि छत को गर्म होने से रोका जा सके। पशु आवास के अभाव में पशुओं को छायाकार पेड़ों के नीचे बांधे। पशु आवास में गर्म हवाओं का सीधा प्रवाह नहीं होने पावे इसके लिए लकड़ी के फंटे या बोरी के टाट को गीला कर दें, जिससे पशु आवास में ठण्डक बनी रहे। पशु आवास गृह में आवश्यकता से अधिक पशुओं को नहीं बांधे तथा रात्रि में पशुओं को खुले स्थान पर बांधे। सीधे तेज धूप और लू से पशुओं को बचाने के लिए पशुशाला के मुख्य द्वार पर खस या जूट के बोरे का पर्दा लगाना चाहिये ।पशुओं के आवास के आस पास छायादार वृक्षों की मौजूदगी पशुशाला के तापमान को कम रखने में सहायक होती है। गाय , भैस की आवास की छत यदि एस्बेस्टस या कंक्रीट की है तो उसके ऊपर 4 – 6 इंच मोटी घास फूस की तह लगा देने से पशुओं को गर्मी से काफ़ी आराम मिलाता है ।पशुओं को छायादार स्थान पर बाँधना चाहिये । पशुपालक भाई अधिक जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र, ग्वारी अछल्दा में संपर्क कर सकते हैं।

रिपोर्ट :-: आकाश उर्फ अक्की भईया संवाददाता