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पूजा स्थल अधिनियम 1991 को मिली चुनौती, स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने दायर की नई याचिका

सुप्रीम कोर्ट में पूजा स्थल (विशेष प्रावधान ) अधिनियम 1991 की कुछ धाराओं की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए नई याचिका दाखिल की गई है।याचिका में कानून की कुछ धाराओं की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है।

यह याचिका स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती की ओर से दायर की गई है। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, सरकार को किसी समुदाय से लगाव या द्वेष नहीं रखना चाहिए, लेकिन हिंदू, जैन, बौद्ध व सिख को अपना हक मांगने से रोकने के लिए कानून बनाया।

एक धार्मिक नेता स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती द्वारा दायर याचिका में पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 की धारा 2, 3, 4 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है।

याचिका में कहा गया है कि धाराएं न केवल अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26, 29 का उल्लंघन करती हैं बल्कि धर्मनिरपेक्षता और कानून के शासन के सिद्धांतों का भी खुले तौर पर उल्लंघन करती हैं, जो संविधान की प्रस्तावना और बुनियादी ढांचे का एक अभिन्न अंग हैं।

इसमें कहा गया है, कोई भी व्यक्ति किसी भी धार्मिक संप्रदाय या उसके किसी भी वर्ग के पूजा स्थल को एक ही धार्मिक संप्रदाय के एक अलग वर्ग या एक अलग धार्मिक संप्रदाय या उसके किसी भी वर्ग के पूजा स्थल में परिवर्तित नहीं करेगा।