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इटावा जसवन्तनगर10 वर्ष से आवास लिस्ट में नाम ,मगर नही मिला आवास

सुबोध पाठक

जसवंतनगर। कच्चे मिट्टी के बने मकान में रह रहे एक सवर्ण गरीब की कोई सुनवाई नही हो रहीऔर उसका परिवार कच्चे मकान में रहने को मजबूर है। प्रायः बरसात के समय मे मिट्टी के घर धाराशाही हो जाते है ऐसे में ये परिवार किस तरह से अपना गुजारा करे?
उसका 10 वर्षों से नाम सरकारी आवास की लिस्ट में है। मगर उसको आवास के लिए दफ्तरो, प्रधान , सचिव व बीडीओ के ड्योढ़ी पर दस्तकें देना नियत बन गयी है।
उसके पूरे घर की पूरी चहार दिवारी कच्ची मिट्टी की दीवालों से बनी हुई है और छत में लकड़ी की धन्न लगी हुई है, जिसके सहारे वर्षों से इसी जर्जर मकान में रहने को उसका परिवार मजबूर है ।


ग्राम पंचायत बाउथ के रहने वाले विजय सिंह भदौरिया पुत्र सोवरन सिंह भदौरिया ने कहना है कि उसके नसीब में वर्षो से गरीबी का दंश है।
आवास के लिए दर दर भटक रहा है लेकिन उसे आवास नही मिल पा रहा है। दस वर्ष से वह बराबर आवास के लिए प्रयासरत है।
उसका कहना है कि जब अधिकारियों से आवास के बारे में पूछता है ,तो जबाब मिलता है कि तुम्हारा नाम आवास लिस्ट में तो है और आवास जल्द मिल जाएगा।मगर यह सुनते सुनते एक दशक बीत गया लेकिन आवास नही मिल पाया। विजय सिंह ने बताया कि उसके परिवार में उसकी बूढ़ी मां समेत 7 लोग है। और वह अपने परिवारका गुजारा गांवों में चूड़ी बेच कर करता है। खेती भी उस पर इतनी भी नही है कि उससे अनाज पैदा करके अपने परिवार का पेट भर सके। अब भला चूड़ियां बेच कर कितना कमा सकता है। चार बच्चे है जिनमे एक लड़की और तीन छोटे छोटे लड़के है
आर्थिक तंगी की बजह से बच्चे भी पढ लिख नही पाए।
उसका आरोप है कि अधिकारियों एवं कर्मचारियों की जेब न भर पाने के चक्कर मे उसे आवास नही मिल पाया ।किसी कर्मचारी ने कहा था कि अगर 20 हजार रुपये दे सको, तो आवास मिल जाएगा ,लेकिन मेरे पास इतना रुपया नही था जो दे देता। इस लिए हमें आवास नही मिल सका और कच्चे मकान में गुजारा कर रहा।
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