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जसवंतनगरः क्षेत्र के ग्राम डुढहा मे आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में प्रह्लाद चरित्र का वर्णन हुआ

जसवंतनगरः क्षेत्र के ग्राम डुढहा मे आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के कथावाचक श्री राम जी द्विवेदी के पावन मुखार बिंदु से ध्रुव चरित्र तथा जड़ भरत चरित्र के माध्यम से मन, इंद्री व आत्मा के परस्पर संबंध की चर्चा की। उन्होने प्रहलाद चरित्र की वृतांत भी सुनाया। इस दौरान बडी संख्या मे महिला पुरूष कथा सुनने को मौजूद रहे

उन्होंने कहा कि जिस प्रकार जड़ भरत मृग के बच्चे में इतना आसक्त हो गए कि अपनी दैनिक क्रिया कर्म को छोड़ कर केवल मृग के बच्चे में ही आसक्त रहने लगे, जिससे उनका अगला जन्म मृग योनि में हुआ। इसी प्रकार भक्त प्रहलाद-चरित्र का भी विस्तार पूर्वक वर्णन करते हुए कहा कि भक्त प्रहलाद को अपने पिता हिरण्यकश्यप ने केवल अपना ही नाम लेने को कहा और भगवान के नाम का विरोध किया, परंतु प्रहलाद ने भगवान का नाम नहीं छोड़ा। इससे क्रोधित होकर हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने के अनेक प्रयद्य किए । उसे पहाड़ों से गिराया। सांपों से डसवाया। हाथी से कुचलवाया और अंत में होलिका के संग जलाया, परन्तु जिसका भगवान रक्षक होता है उसका कोई कुछ भी बिगाड़ा नहीं सकता। इस दौरान सूरज , पंकज, नंदराम, रंजीत, विमल, शिवप्रकाश, दयाशंकर, अनमोल आदि मौजूद रहे