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इटावा, विश्व भूगर्भ जल दिवस 10 जून विशेष* *पानी तेरी यही कहानी,किसी ने कीमत न पहचानी*

*विश्व भूगर्भ जल दिवस 10 जून विशेष*

*पानी तेरी यही कहानी,किसी ने कीमत न पहचानी*

*भूगर्भ जल के दोहन को रोकने के लिये जनजागरूकता अभियान की आवश्यकता*

*आज का भूगर्भ जल दोहन भविष्य में मानव जाति के अस्तित्व के लिये बनेगा बड़ा खतरा*

डॉ आशीष त्रिपाठी

*इटावा*। आज विश्व भर में लगातार गिरता भूगर्भ जल स्तर एक वैश्विक समस्या का गम्भीर विषय बनकर मानव जाति के सामने आ रहा है। चूंकि, जल से ही समस्त प्राणियों का जीवन चलता है और सम्पूर्ण मानव जाति का वर्तमान अस्तित्व व आगे आने वाला भविष्य भी शुद्ध जल की उपलब्धता से ही जुड़ा हुआ है। हम सभी जानते है कि,हमारे आपके शरीर मे 70% जल ही है जिसमे कोई भी मामूली सा परिवर्तन हमारे लिये जानलेवा साबित होता है। आज जिस प्रकार लगातार जल का दोहन हर जगह ही अंधाधुंध रूप से किया जा रहा है। उससे कई गम्भीर समस्याएं मानव जाति के सामने निकट भविष्य में आने वाली है। अब आधुनिकता की अंधी दौड़ में घर घर शुरू हुई समर प्रथा का प्रयोग हमारी आने वाली पीढ़ी के भविष्य को खोखला कर रहा है। पहले घरों में लगे हैंडपंप चलाने से जो पानी निकलता था या कुएं से जो पानी रस्सी से खींचकर भरा जाता था उससे पानी की बर्बादी कम होती थी साथ ही पानी रीसाइकिल भी होता रहता था और साथ मे नल चलाने वाले व्यक्ति व कुंए की मोटी रस्सी खींचने वाले पुरुष या महिला की अच्छी खासी कसरत भी हो जाती थी जिससे लोग स्वस्थ भी रहते थे। आजकल की बटन दबाओ पानी पाओ की आधुनिक जीवन शैली ने भूगर्भ जल का अत्यधिक दोहन किया है। जितना पानी उपयोग नही होता उससे कहीं ज्यादा पानी नालियों में जाकर बर्बाद हो जाता है।
सबसे भयानक दृश्य यह है कि भारत मे भूगर्भ जल का स्तर लगातार ही गिरता जा रहा है। जयपुर शहर से इसकी पहली शुरुआत भी हो चुकी है। अब धरती माँ की कोख में से लगातार पानी निकालने वाले लोगो ने कभी घर मे वाटर रिसाइकिल सिस्टम ही नही बनवाया बस समर चला कर पानी की टंकी को फैलते देखते है या अपनी गाड़ी धोकर या भैंस को नहलाकर कर खुश हो लेते हैं। इसी समर प्रथा से धरती का सीना लगातार ही खोखला होता जा रहा है घरती के नीचे एक अनजाना वैक्यूम भी बनता जा रहा है जो आगे चलकर कभी किसी भी शहर में जगह जगह छोटे छोटे गढ्ढों में तब्दील होने का कारण बनकर भी हमारे सामने आ ही सकता हैं आज समर लगे घरों में एक जल मीटर भी लगाये जाने की नितांत आवश्यकता हो गई है। जिससे व्यर्थ भूगर्भ जल दोहन पर कुछ अंकुश लग सकता है लेकिन अब यह भी समझ लीजिए आज की आपकी यही नादानी कल आपके भविष्य पर बहुत भारी भी पड़ेगी निकट भविष्य में बडी मुश्किल से उपलब्ध होने वाले जल की उपलब्धता के लिये आप एक सामाजिक जल युद्ध की तैयारी भी आज से ही शुरू कर लीजिए। अब आपको बता दें कि, दुनियाँ भर में प्रत्येक वर्ष 10 जून को विश्व भूगर्भ जल दिवस मनाया जाता है। आज विश्व भूगर्भ जल दिवस के अवसर पर आओ हम सब अपने सुदृढ़ भविष्य हेतु भूजल संवर्धन एवं संचयन के प्रति अपने मूल कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए प्रतिबद्ध हों। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य विश्व के सभी देशों में स्वच्छ एवं सुरक्षित जल की उपलब्धता सुनिश्चित करवाने के साथ ही जल संरक्षण के महत्व पर भी वैश्विक ध्यान केंद्रित करना भी है। इसलिये आइये हम सब मिलकर एक ऐसे शशक्त भारत का निर्माण करें जो किसी दूसरे देश की जल उपलब्धता या या किसी आयात पर बिल्कुल भी निर्भर न हो।
द्वारा- (ओशन) ऑर्गनाइजेशन फ़ॉर कन्जर्वेशन ऑफ एनवायरमेंट एंड नेचर,इटावा