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इटावा , सफारी पार्क में हुई शेर मनन की मौत पर अब मनन की आवश्यकता*

*इटावा सफारी पार्क में हुई शेर मनन की मौत पर अब मनन की आवश्यकता*

*केंसर एक जींस से नियंत्रित अनियंत्रित कोशा की बीमारी भी है इसलिये इसके एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में भी ट्रांसफर होने के खतरे से भी इनकार नही किया जा सकता

*डॉ आशीष त्रिपाठी (वन्यजीव विशेषज्ञ)*

इटावा। जनपद इटावा को नई पहचान देने वाला शानदार लॉयन सफारी पार्क इटावा प्रोजेक्ट अब दूर दूर तक किसी परिचय का मोहताज नही लेकिन सफारी पार्क का गॉड फादर कहा जाने वाला लकी बब्बर शेर मनन अंततः केंसर की एक गाँठ से लड़ते लड़ते आखिर अपनी जिंदगी से ही हार गया। उसके इलाज में लगी अनुभवी डॉक्टरों की टीम मनन को नव जीवन नहीं दे सकी और अंततः उसकी मौत हो गयी। मनन की मौत की आधिकारिक पुष्टि सफारी पार्क इटावा के उप निदेशक ए के सिंह ने की। वैसे देखा जाये तो सफारी पार्क का समस्त स्टाफ व प्रशासन बब्बर शेर मनन का पूरा ख्याल रख रहा था। लेकिन यहाँ एक गौरतलब बात यह भी है कि,मनन अपनी उम्र भी पूरी कर चुका था। क्यों कि एक शेर के जीवन की उम्र लगभग 14 से 17 वर्ष की ही होती है और सफारी का लकी शेर मनन इस समय 15 वर्ष का था। उप निदेशक ने बताया कि, कानपुर-बरेली और सफारी पार्क के चिकित्सकों के द्वारा शेर मनन को फ्लूड थेरेपी भी दी जा रही थी लेकिन चिकित्सकों के काफी प्रयास के वावजूद उसे बचाया नही जा सका। मनन के नाम एक रिकॉर्ड भी है जिसके अनुसार इटावा सफारी पार्क में 9 शावक मनन शेर से ही पैदा हुए है। बब्बर शेर पिता वीर और शेरनी मां मयूरी की संतान मनन का जन्म 18 फरवरी 2008 को सक्करबाग प्राणी उद्यान जूनागढ़ गुजरात में हुआ था। जनपद इटावा में एशियाई बब्बर शेर प्रजनन केंद्र की स्थापना के बाद मनन को जूनागढ़ से ग्यारह अप्रैल 2014 को इटावा लाया गया था, यहां लाए जाने के बाद जेसिका नामक शेरनी से मनन का मिलन 21 जून 2016 से 23 जून 2016 के बीच हुआ और जेसिका शेरनी ने गर्भधारण कर पांच अक्टूबर 2016 को दो शावकों को जन्म दिया जो सिंबा और सुल्तान के नाम से सफारी पार्क की शान बने। बाद के वर्षों में मनन ने जेसिका के माध्यम से 15 जनवरी 2018 को बाहुबली , 26 जून 2019 को भरत, रूपा और सोना और 15 अप्रैल 2020 को बब्बर शेरनी जेनिफर के माध्यम से
केसरी तथा 12 दिसंबर 2020 को पुनः जेसिका के माध्यम से नीरजा और गार्गी नामक शावकों के जन्म में अपना अभूतपूर्व योगदान दिया।


मनन को जूनागढ़ से लाए जाने के बाद से ही उसकी कमर के दाहिने भाग पर एक गांठ बन गई थी, जिसका परीक्षण समय-समय पर भारतीय पशु चिकित्सा एवं अनुसंधान संस्थान इज्जतनगर
बरेली के वन्यजीव चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा कराया गया और उनके निर्देशानुसार उसे समय समय पर आवश्यक चिकित्सीय सहायता पहुंचाई जाती रही। निदेशक सफारी पार्क इटावा के अनुरोध पर भारतीय पशु चिकित्सा एवं अनुसंधान संस्थान इज्जतनगर बरेली द्वारा डॉक्टर पार्थ सारथी बनर्जी, डॉ के महेंद्रन तथा डॉक्टर एम. करीकलन की एक टीम गठित कर मनन का परीक्षण करवाया गया। मथुरा पशु चिकित्सा संस्थान के डॉ जेम्स स्टील, पशु चिकित्सा अधिकारी स्मिथ सोनियन के साथ जूलॉजिकल पार्क वाशिंगटन, डीसी यूएसए आदि विशेषज्ञों की भी राय ली जाती रही।
अपनी राय में विशेषज्ञों ने मनन की गांठ को शल्य क्रिया द्वारा हटाने का सुझाव दिया था। इसी संदर्भ में बायोप्सी जांच हेतु सैंपल 15 जनवरी 2018 को भेजा गया था, जिसकी परीक्षण रिपोर्ट भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान बरेली द्वारा अपनी रिपोर्ट 19 जनवरी को भेजी गई जिसमें मनन को (मेलानोमा) कैंसर नामक बीमारी होना बताया गया। मई माह 2022 में मनन ने भोजन खाना कम कर दिया था, जिस कारण जू कीपर द्वारा उसे हैंड फीडिंग कराई जाने लगी। जून के पहले सप्ताह में मनन की बायोप्सी रिपोर्ट प्राप्त हुई, जिसमें उसे एमेलोनोटिक मिलानोमा नामक बीमारी से ग्रसित होना बताया गया जो एक प्रकार का स्किन कैंसर था। पूर्व स्थिति को देखते हुए सफारी प्रशासन द्वारा दिनांक 7 अगस्त 2022 को निदेशक भारतीय वन्यजीव अनुसंधान संस्थान बरेली को सफारी में विशेषज्ञ टीम भेजने हेतु लिखा गया। बीते दिवस 13 जून को मनन का शारीरिक तापमान जांच में सामान्य से अधिक पाया गया और वह मुंह से ही सांस ले रहा था।
खतरनाक स्किन कैंसर की बीमारी से निजात दिलाने के लिए शेर मनन को एंटी पाइरेटिक दवाओं के साथ एंटी केंसर फ्लूड थैरेपी भी लगातार दी जा रही थी। अन्ततः केंसर जैसी घातक बीमारी के चलते बीती शाम 13 जून को मनन की दुःखद मौत हो गई।
विदित हो कि, पूर्व में समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने मनन शेर के बेहतर इलाज की व्यवस्था करने के लिए सफारी प्रबंधन और राज्य की योगी सरकार से अनुरोध भी किया था लेकिन उससे पहले ही मनन जिंदगी की जंग हार गया । मनन की मौत से सफारी प्रशासन भी बेहद आहत है। असमय मौत का शिकार बना शेर मनन इटावा सफारी पार्क का गॉडफादर इसलिये भी माना जाता है क्यों कि, मनन का सफारी पार्क इटावा में शेरों के कुनबे को बढ़ाने में सबसे बड़ा योगदान है।

वहीं जनपद में इकोलॉजी, हिस्टोपैथोलोजी एवं हिस्टोकेमिस्ट्री विषय पर अपना शोध पूर्ण कर चुके जानकार वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ आशीष त्रिपाठी ने चिंता व्यक्त करते हुये कहा है कि, अमेरिकन केंसर सोसाइटी की एक शोध रिपोर्ट के अनुसार कुछ प्रकार के केंसर जेनेटिक म्यूटेशन (जीन म्यूटेशन) की वजह से भी होते है। जो एब्नॉर्मल होकर और किसी जीन्स के माध्यम से डीएनए से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में भी स्थानांतरित हो सकते है इन्हें ही “इन्हेरीटेड केंसर” भी कहा जाता है जिनका एब्नॉर्मल जीन कोशिका के किसी नार्मल जीन को लीड करता रहता है। अभी तक की केंसर स्टडी में पूर्व के इतिहास के अनुसार हमारे शरीर मे लगभग 5 से 10 प्रतिशत कैंसर सीधे जीन डिफेक्ट से भी प्रभावित भी होते है। अब यदि स्किन केंसर की बात जाये तो ये वे अनियंत्रित कोशिकाये है जो अपनी सामान्य वृद्धि पर अपना मूल नियंत्रण खो देती है आगे चलकर कैंसर सेल (मेलानोमा सेल) में परिवर्तित हो जाती है। लेकिन अब जांच का एक विषय यह भी होना चाहिए कि कैंसर की यह गम्भीर बीमारी कहीं मनन के द्वारा जन्मे सफारी के अन्य शेरों में तो धीरे धीरे नही पनप रही है जिन भी संतति (नई पीढ़ी) मे मनन का डीएनए इस समय मौजूद है।