पिछले दो वर्षों के कोविड संघर्ष से प्रभावित बच्चों और स्कूल व्यवस्था के बिखरने पर आधारित एक प्रेरणादायक हिंदी गीत “बैक टू स्कूल “ सुप्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक डॉक्टर जवाहर सूरिसेट्टी द्वारा देश के बच्चों को १८ जून को समर्पित की जा रही है । इसका प्रसारण यूट्यूब , फ़ेस्बुक , इंस्टाग्राम , स्पॉटिफ़ाई , गाना , जीयो सावन इत्यादि सभी म्यूज़िक चैनल्ज़ पर ११ बजे दिन में किया जाएगा ।
डॉक्टर जवाहर ने कहा की उनके पास पिछले सालों में हर रोज़ क़रीब ३०० कॉल इसी विषय पर आते हैं की बच्चों के भविष्य एवं शिक्षा का क्या होगा । अभिभावकों के इस कश्मकश और सुधरी हुई हालत में फिर से स्कूल खुल रहे हैं मगर पिछले वर्ष ये देखा गया कि अभिभावक स्कूल भेजने से डर रहे हैं । इस परिस्थिति के मद्देनज़र रखते हुए और बच्चों के स्कूल नहीं जाने से जो विपरीत असर उनके शिक्षा एवं भविष्य पर पड़ रहा है वो कई शोध दर्शाते हैं । इस वक्त जो ज़रूरत है वो है विश्वास , प्रेरणा एवं सहज ढंग से बच्चों को स्कूल वापस लाने की क़वायद । आज़ादी के अमृत महोत्सव के उपलब्ध पर और हमारे भविष्य की पीढ़ी को प्रेरित करने के लक्ष्य से डॉक्टर जवाहर ने ये गीत लिखा है जिसे साज और आवाज़ से सजाया है जागृत ने जो आर्टिफ़िशल इंटेलिजेन्स का शोधकर्ता है ।
इस गीत में स्कूल में दोस्त , दोस्ती , टीचर , मस्ती , पढ़ाई , खेल , बस , टिफ़िन इत्यादि का उल्लेख करते हुए स्कूल वापस आने का आह्वान है । इसमें स्कूल के दिन याद करके उस अनुभव से वंचित रहने का अहसास भी है ।
इस गीत को देश को समर्पित करते हुए डॉक्टर जवाहर ने कहा की उनके पुराने गीत “इंडिया हूँ मैं , नाज़ है “ को जिस तरह की अपार सफलता मिली है , इस गीत को भी अपने सामाजिक सरोकार की वजह से अच्छा प्रतिसाद मिलने की आशा जताई और स्कूलों को भी ये संदेश दिया की पढ़ाई इतनी रोचक बनाएँ की बच्चे डर को दूर कर खुद स्कूल आने के लिए लालायित हों ।