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इटावा, श्रावण मास का पहला सोमवार आज, शिवालयों में उमड़ेंगे श्रद्धालु*

*श्रावण मास का पहला सोमवार आज, शिवालयों में उमड़ेंगे श्रद्धालु*

 

*भरेह/इटावा।* श्रावण मास का पहला सोमवार आज, शिवालयों में उमड़ेंगे श्रद्धालु
कोरोना के कारण दो साल बाद धूमधाम से मनाया जाएगा भगवान शिव की आराधना का पर्व। शिवालयों में सुबह से चलेगा पूजन-अभिषेक का दौर।

सावन माह का पहला सोमवार आज है।
जनपद में स्थापित तमाम शिवालयों जैसे नीलकंठ मंदिर इटावा, भारेश्वर मंदिर भरेह, पचनद पर स्थापित महाकालेश्वर के साथ-साथ सभी शिवालयों में सुबह से शिवजी के अभिषेक शुरू हो गए। सुबह छह बजे से शिवालयों में बम-बम भोले, हर-हर महादेव के जयकारे सुनाई देने लगे। कोरोना के कारण दो साल बाद शिव मंदिरों में सावन सोमवार को भक्तों की भीड़ उमड़ी। यमुना चंबल संगम पर स्थित भारेश्वर महादेव मंदिर प्राचीन काल से आध्यात्मिक ज्ञान एवं तपस्या का केंद्र रहा है। मान्यता है कि विद्वान नीलकंठ ने कर्मकांड एवं दंड के 12 मयूक (ग्रंथ) एवं आयुर्वेदिक ग्रंथ इसी मंदिर में रहकर लिखा था।भगवान भोलेनाथ का प्रिय श्रावण मास के प्रथम सोमवार को धार्मिक आस्था का केन्द्र प्राकृतिक सौंन्दर्य से मंदिर मे प्रातः काल ब्रह्ममुहुर्त मे भगवान शिव का मंदिर के मंहत के सानिध्य में वैदिक ब्राह्मणों द्वारा रुद्राभिषेक, शिवमहिमन स्तोत्र, शिव तांडव स्तोत्र, रूदाष्टकम आदि पाठ कर भगवान भोलेनाथ का फूल पत्र विल्वपत्र धतुरा आदि सामग्रियों से भव्य श्रृंगार किया गया।

ग्राम गौहानी निवासी रामायणी उदय प्रताप सिंह उर्फ लउआ सिंह चौहान के अनुसार पांडवों ने अज्ञातवास के समय भगवान श्रीकृष्ण के निर्देश पर शंकर भगवान की आराधना हेतु भीमसेन द्वार व शंकर की विशाल पिंडी की स्थापना की थी, जिसकी द्रोपदी सहित पांचों पांडवो ने पूजा अर्चना की।मुगलकाल में जब व्यापार नदियों के माध्यम से होता था। तब भरेह उत्तर भारत का प्रमुख व्यापार केंद्र था। उस समय गुजरात व राजस्थान के व्यापारी अपना माल चंबल नदी के माध्यम से तथा आगरा, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा के व्यापारी यमुना नदी के माध्यम से अपना माल इलाहाबाद , विहार व कलकत्ता भेजते थे, जहां से विदेश तक माल जाता था।

किदवंतियों के अनुसार यमुना चंबल के संगम पर विशाल भंवरें पड़ती थी, जिसमे नाव फंसने पर नाव नदी में ही डूब जाती थी। राजस्थान के व्यापारी मदन लाल जब अपनी नाव से माल सहित संगम पर पहुंचे तो उनकी नाव भी इस भंवर में फंस गई, जिससे व्याकुल होकर अंतिम समय समझकर उन्होंने भगवान भोले नाथ का श्रद्धा से स्मरण किया वैसे ही उनकी नाव भंवर से छूटककर किनारे लग गई, जहां भीम द्वारा स्थापित शिवलिंग रखा था। सेठ ने उनकी पूजा अर्चना की बाद वहां एक विशाल मंदिर की स्थापना का संकल्प लिया था। आज प्रथम सोमवार के दिन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जयप्रकाश सिंह के कुशल निर्देशन में पुलिस क्षेत्राधिकारी चकरनगर राकेश बिष्ट,कोतवाल चकरनगर सुनील कुमार सिंह,थानाध्यक्ष भरेह गोविन्द हरि वर्मा अपने दल बल के साथ सतर्क और मुस्तैद दिखे।