* इटावा, चंबल आर्म रेसलिंग चैंपियनशिप की तैयारी शुरू, 6 अगस्त को दिखेगा पंजे का कमाल*
– मद्रास क्रांति के महानायक की याद में होगी कुश्ती
-इटावा के खिलाड़ी भी दिखा सकेंगे दमखम
इटावा: मद्रास क्रांति के महानायक प्रसिद्ध क्रांतिकारी शंभुनाथ आजाद की याद में चंबल पंजा कुश्ती चैंपियनशिप का आयोजन किया जाएगा। चंबल परिवार द्वारा आजादी के हीरक वर्ष में यह प्रतियोगिता आगामी 6 अगस्त को प्रातः 9 बजे से भदावर पीजी कालेज में शुरू होगी। इस ओपन प्रतियोगिता में इटावा के खिलाड़ी भी हिस्सा ले सकेंगे.
क्रांतिकारी लेखक और चंबल परिवार प्रमुख डॉ. शाह आलम राना ने कहा कि आजादी आंदोलन में चंबल घाटी के रणबाकुरों के अनगिनत रोमांचकारी किस्से दफ्न हैं जिसे आजादी के इतने साल बाद भी इतिहास का उत्खनन कर नई पीढ़ी को नहीं बताया गया। आजादी के अमृत वर्ष में मद्रास क्रांति के महानायक दादा शंभुनाथ आजाद को बिसरा दिया गया। डॉ. राना ने बताया कि स्वतंत्रता संग्राम में 1930-31 का दौर था। मद्रास के गर्वनर ने शेखी मारी कि हमारे यहां कोई क्रांतिकारी गतिविधियां हो ही नहीं सकतीं। यह बात चंबल के लाल शंभुनाथ आजाद के जेहन में चुभ गईं। इसी दौरान दादा शंभुनाथ आजाद की अगुवाई में ‘बूचड़खाना’ नाम से कुख्यात कोतवाली पर बम फेंका गया। रोशनलाल और उमाशंकर के इस एक्शन से सरकार कांप उठी थी। 1932 में जब शंभूनाथ जेल से छूटकर आये तो उन्होंने दक्षिण भारत को केन्द्र बना कर क्रांतिकारी एक्शन करने का निश्चय किया। तत्कालिक खर्च के लिए उन्होंने अपने घर से पांच हजार रुपये लिये। शंभूनाथ आजाद मद्रास में रोशनलाल, सरदार बंता सिंह, इंद्र सिंह, खुशीराम मेहता, गोविंदराम वर्मा, बच्चू लाल आदि क्रांतिधर्मी मजदूरों की एक बस्ती में किराये का मकान लेकर रहने लगे। यहां इन्होंने मद्रास और बंगाल के दोनों गर्वनर पर एक साथ बम फेंकने का खाका बना डाला। लिहाजा पैसे न होने पर क्रांतिकारियों ने सफलता पूर्वक ऊटी बैंक पर एक्शन किया। दादा शंभूनाथ आजाद और भी क्रांतिकारी गतिविधियां चला रहे थे। कई साथियों की गिरफ्तारी हुई, उन्हीं साथियों को छुड़ाने के लिए बम बनाने का फैसला हुआ।
दरअसल, बम बनाने के लिए विदेशी खोल नहीं मिल रही थी। तब वहां मौजूद चूड़ीदार लोटे को ही बम के खोल के तौर पर इस्तेमाल करने फैसला हुआ। एक्शन के दौरान कहीं चूक न हो जाय लिहाजा क्रांतिकारी घटना से पहले बम का परिक्षण का निश्चय किया गया। मद्रास बंदरगाह के सेवापुरम क्षेत्र में 30 अप्रैल 1933 को रात आठ बजे बम परिक्षण के लिए पहुंचे, परीक्षण के दौरान वक्त बम फट गया। बम के टुकड़े रोशन लाल मेहरा के जिस्म में अंदर तक घुस गए। जिससे रोशन लाल मेहरा की शहादत हो गयी। बम विस्फोट के बाद पुलिस अधीक्षक को समझने में देर न लगी कि मद्रास के बाहर के भी क्रांतिकारी यहां सक्रिय हैं। दादा शम्भुनाथ आज़ाद बम बनाने में इतना माहिर थे कि ताले में बम फिट कर देते थे। दादा शंभुनाथ आजाद लंबे समय तक कालापानी जेल में रहे ही और आज़ाद भारत में कई बार बुनियादी सवालों पर आंदोलन कर जेल में बने रहे। दादा शंभुनाथ आजाद ने कचौरा स्थित घर को अपने क्रांतिधर्मी साथियों की याद में स्मारक बनाया था।
कार्यक्रम संयोजक शंकर देव तिवारी ने कहा कि चंबल-युमना के इस दोआब में बागियों-दस्युओं की शरणस्थली खिलाड़ियों की भी जननी रही है। जिन्होंने राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने जुनून, त्याग और परिश्रम से अपना परचम लहराया है। चंबल पंजा कुश्ती चैंपियनशिप में खिलाड़ी आनलाइन रजिस्ट्रेशन कर रहे हैं। बाह, इटावा, जालौन, औरैया, भिंड, मुरैना, धौलपुर के जूनियर, सीनियर, मास्टर और विकलांग महिला-पुरूष खिलाड़ी इसमें प्रतिभाग कर सकेंगे। आयु और वजन के हिसाब से मुकाबलें होंगे। 13 अलग-अलग कैटेगरी के मुकाबले होंगे। लगातार दो बार हार जाने वाला खिलाड़ी अपने आप बाहर हो जाएगा। उन्होंने बताया कि जूनियर (महिला-पुरूष) 18 वर्ष तक, सीनियर (महिला-पुरूष) 40 वर्ष तक, मास्टर (महिला-पुरूष) 60 वर्ष तक, विकलांग (महिला-पुरूष) 40 वर्ष तक के अलग-अलग कटेगरी में मेडल दिये जाएंगे। सभी खिलाडियों को प्रमाण पत्र दिया जाएगाl उ.प्र. पंजा कुश्ती एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी डॉ. वीपी सिंह को चीफ रेफरी, अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी किशन और संकेत को रेफरी बनाया गया है।