Monday , October 28 2024

जसवन्तनगर,मक्का की खेती ने इस बार भर दीं किसानों की जेबें  ,भरपूर पैदावार, लाभकारी मूल्य मिला

मक्का की खेती ने इस बार भर दीं किसानों की जेबें
*भरपूर पैदावार, लाभकारी मूल्य मिला
_______
जसवंतनगर।मंहगाई से त्रस्त और कई वर्षों से आलू के वाजिब मूल्य न मिलने से परेशान किसानो के चेहरों पर इस बार यहां क्षेत्र में मक्का की खेती चमक ला गई है। मौसम ने भी साथ दिया और पैदावार भी भरपूर हुई है।
सन 2021 में मक्का का भाव 1600 – 1700 रुपए कुंटल ही रहा था और पैदावार भी अपेक्षित नहीं निकली थी,मगर इस बार गर्मी का मौसम भी लंबा चलने के चलते फरवरी-मार्च में बोई जाने वाली जायद की यह फसल किसानों की जेब के लिए फायदेमंद साबित हुई।


दरअसल आलू, मटर, सरसों की फसलों के फरवरी में कट और खुद जाने के बाद खेत खाली हो जाते हैं। ऐसे में इस क्षेत्र का बड़ा क्षेत्रफल  खरीफ की फसलों के इंतजार में  खेतों को ऐसे ही खाली  रखा जाता था, मगर इधर कुछ वर्षों से आलू, मटर और सरसों की फसलों के बाद खाली हुए खेतों में जायद की फसलें बोई जानी शुरू हुई ।आलू का रकबा इस इलाके में 80 प्रतिशत है। इसमें मार्च,अप्रैल,मई और जून चार महीनों में होने वाली मक्का की जायद फसल की जमकर बुबाई की गई।
किसानों ने बताया कि मक्के की खेती से उन्हे 4 से लेकर 6 क्विंटल तक पैदावार मिली है। मक्का की खेती में ज्यादा उर्वरकों और सिंचाई और ज्यादा खर्चा जाया नही करना पड़ता। इस वजह और मक्का का भाव भी मंडी में 2100से2200 रुपए क्विंटल चलने से इस मंहगाई में उनकी अच्छी कमाई हुई है।जायद में बोई गई मक्का की फसल से खेत भी जून में खाली हो गए, इस वजह मक्का काटने के बाद बाजरा, धान और मकई आदि बोन का भी उन्हे समय रहते मौका मिल गया।
यहां नगर के नदी पुल पर खेती – किसानी के लिए बीज बेचने वाले मुनेश चंद्र बताते हैं कि इस बार मक्का के बीज की जमकर बिक्री हुई थी, ऐसी पहले कभी नही हुई थी। डिकोक 9100 तथा त्रिमूर्ति 2800 वैरायटी के मक्का का बीज तो बोबाई के वक्त बाजार में शॉर्ट पड गये थी। अब की बार अच्छी पैदावार और भरपूर मूल्य मिलने से इस क्षेत्र में भविष्य में अब किसान जायद में मक्का की खेती को ज्यादा वरीयता देंगे। *वेदव्रत गुप्ता