Saturday , November 23 2024

दूसरे दिन रक्षाबंधन त्यौहार जमकर मना, बहुतों ने दोनो दिन मनाया

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*जसवंतनगर(इटावा)*। प्रायः हर हिंदू त्योहार मनाने को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा होती है। पंडितों और ज्योतिषाचार्यों के पंचांगीय गणित के चलते एक त्योहार दो-दिन मनाया जाने लगा है।
इस बार रक्षाबंधन के त्योहार को मनाए जाने को लेकर भी भ्रम पैदा हो गया और दो दिन राखियां बांधी गईं।
चंद्र और सूर्य के उदय को लेकर और भद्रा और पंचक लग्न के चलते पंचांग रचायिताओं में से किसी ने 11 अगस्त की रक्षाबंधन निकाली, तो किसी ने 12 अगस्त की।मकर संक्रांति का पर्व हिंदू धर्म में 14 जनवरी का फिक्स था। मगरअब वह भी डबल-डबल दिन मनने लगा है।ऐसा अन्य त्योहारों के साथ भी इधर कुछ वर्षों से हो रहा है। टीवी और सोशल मीडिया की सक्रियता ने भी इस भ्रम में बढ़ोत्तरी की है।
रक्षाबंधन त्यौहार को लेकर दिन तारीख में अलग-अलग पंचांगीय गणनाओं का असर इस बार ऐसा रहा कि गुरुवार को भी रक्षाबंधन मनाते राखियां बांधी गई और शुक्रवार को भी।
गुरुवार को नगर व ग्रामीण क्षेत्रों में 30-40 प्रतिशत घरों में राखी का त्यौहार रात 8 बजे के बाद मनाया गयस। भुंजरियां तो शाम 6 बजे के लगभग नदी- तालाबों में सिरायीं गईं।
नौकर पेशा लोगों ने आज शुक्रवार को राखी बंधवाने का इंतजार किया। मिष्ठान विक्रेताओं की दुकानों पर घेबर जमकर बिका। प्रमुख घेबर निर्माताओं के यहां तो गुरुवार को ही घेवर-फैनी की शॉर्टेज हो गईं थीं। इसलिए आज दूसरे दिन रक्षाबंधन के लिए बिक्री वास्ते रात भर घेबर बनाने को भट्टियां सुलगती रहीं।
आज शुक्रवार को सबेरे से ही राखियां बंधनी शुरू हो गई थीं। बहुतों ने तो कल भी बनधवायीं और आज भी, क्योंकि उनकी बहनें छुट्टी होने के कारण आज पहुंची।राखी। त्यौहार को लेकर बसों में बड़ी संख्या में बहनों के आवागमन की भीड़ रही।ज्योतिषीय विचार रखने वाले दोपहर साढ़े बारह बजे तक राखियां बधवा चुके थे। इस बार दो दिन तक रक्षाबंधन मनाए जाने के बावजूद राखियां बेचने वालों के चेहरे उतरे हुए थे, क्योंकि कइयों की आधी तक राखी नहीं बिकीं।