इटावा। थाना सिविल लाइन क्षेत्र के अन्तर्गत मुख्य चिकित्साधिकारी इटावा के मुख्य परिसर में बने ए एन एम प्रशिक्षण केंद्र इटावा में एक 3 फ़ीट लम्बी वयस्क व लगभग 4 किलो वजनी विस्ख़ापर घुस आई जो कि एक पाइप में छुपी बैठी थी। तभी डिप्टी सीएमओ व ए एन एम टी सी जनपद इटावा के प्रभारी डॉ श्री निवास यादव ने कॉल करके मिशन स्नेक बाइट डेथ फ्री इंडिया के यूपी कॉर्डिनेटर व नगर पालिका परिषद के ब्राण्ड एम्बेस्डर वन्यजीव विशेषज्ञ सर्पमित्र डॉ आशीष त्रिपाठी से सहायता माँगी। डॉ आशीष ने तत्काल मौके पर पहुँच कर उस विस्ख़ापर को पूरी सावधानी से सुरक्षित काबू में कर उसके सुरक्षित प्राकृतवास में ले जाकर छुड़वा दिया। डिप्टी सीएमओ डॉ श्री निवास ने सुरक्षित रेस्क्यू करने पर डॉ आशीष का विशेष आभार व्यक्त किया। वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ आशीष ने बताया कि, आजकल बरसात होने से ही ये वन्यजीव शहर में ज्यादा निकल रहे है। आपको बता दें कि, विस्ख़ापर मात्र देखने मे ही डरावनी लगती है लेकिन यह एक विषहीन प्राणी है जो भारतीय वन्यजीव अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित भी है। इसमें किसी प्रकार का कोई विष नही होता है। यदि कभी यह किसी को काट तो इलाज में लापरवाही करने से मात्र त्वचा में गैंगरीन (गलाव) हो सकता है। बाकी यह एक बेहद ही शर्मिला जीव है जो मनुष्यों को देखकर स्वयं ही कहीं न कहीं डरकर छिप जाता है। लोगों में आज भी एक भ्रांति है कि इसके चाट लेने से या फिर पलट जाने से लोग मर जाते है यह भ्रांति वैज्ञानिक रूप से बिल्कुल ही असत्य है। आजकल इनके प्राकृतवास में पानी भर जाने या नष्ट हो जाने से या आसपास बड़े पेड़ पौधे न होने की वजह से ये अक्सर घरों की छत पर भी चढ़ जाते है। अतः वेवजह ही विस्ख़ापर देखकर बिल्कुल भी न डरें। इसे मारने या नुकसान पहुंचाने पर वन्यजीव अधिनियम के तहत सुसंगत धारा के अंतर्गत कठोर कार्यवाही व जुर्माने का प्रावधान है। वही मौके पर मौजूद डॉ श्री निवास ने कहा कि, डॉ आशीष जनपद में वन्यजीव संरक्षण का बेहद ही सराहनीय कार्य कर रहे है और हमेशा ही समय समय पर लोगों की मदद भी करते रहते है। आज डॉ आशीष त्रिपाठी ने इसे सुरक्षित पकड़ा है जिसके लिये हम उनके विशेष आभारी है। विदित हो कि, डॉ आशीष पिछले कई वर्षों से इटावा जनपद में पर्यावरण एवं वन्यजीव संरक्षण के लिये स्कूलों कालेजों में भी छात्र छात्राओं के बीच जाकर विशेष वन्यजीव संरक्षण एवं सर्पदंश जागरूकता अभियान भी चला रहे है। जिसका बड़ा असर यह हुआ है कि, कई वन्यजीवों को अब जीवनदान भी मिल रहा है व संस्था ओशन के द्वारा लगातार की जा रही जन जागरूकता के कारण लोगो ने वन्यजीवों को अब बिल्कुल मारना ही छोड़ दिया है।