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रोक के बावजूद धड़ल्ले से बिक रहे स्टीकर लगे फल

जसवंतनगर। (सुबोध पाठक) रोक के बावजूद स्टिकर लगे फलों की धड़ल्ले से बिक्री हो रही है। हालत यह है कि हानिकारक रसायन से चिपके स्टिकर लगे सेव बाजार में खूब बिक रहे हैं। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग इसकी अनदेखी किए हैं। स्वास्थ्य के लिए बेहतर माने जाना वाला सेव स्टिकर लगा होने से सेहत के लिए हानिकारक साबित हो रहा है ।

स्टिकर लगे फलों की बिक्री पर 2018 में रोक लगाई गई थी। ऐसे फलों के बेंचने पर दुकानदार पर मुकदमा दो लाख तक के जुर्माने का प्रावधान है। 2018 में प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मानते हुए स्टिकर लगे फलों की बिक्री प्रतिबंधित कर दी थी। इसके बावजूद खाद्य व औषधिध् प्रशाशन विभाग शासनादेश को नजरअंदाज कर रहा है। मंडियों में और हथठेलो पर स्टिकर लगे फलों की बिक्री खुलेआम हो रही है। मंडियों में दुकान दार स्टिकर लगे फलों की बिक्री कर रहे हैं और विभाग को कोई खबर नहीं है। स्थिति यह है कि ज्यादातर दुकानों में तो सेव ही नहीं हर फल में स्टिकर चिपका नजर आता हैं। स्टिकर लगाने के पीछे अच्छी क्वालिटी का फल दिखाने की मंशा होती हैं। फलों का स्टिकर लगाने के दौरान गोंद का इस्तेमाल किया जाता है । ऐसे के फल में लगा गोंद लोगों के शरीर में पहुँचता हैं जो शरीर मे धीमे जहर का काम करता हैं।

खामी छिपाने को भी होता है इस्तेमाल        नियंत्रक खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि सेब, आम, संतरा, अमरूद, केला, सीताफल, नाशपाती आदि फलों में स्टीकर चिपके होते हैं। व्यापारी फल के ऊपर स्टीकर का इस्तेमाल प्रीमियम दिखाने या कई बार फलों के खराब हिस्सों की खामियां छिपाने के लिए करते हैं। फलों पर जो स्टीकर चिपके होते है उन पर व्यापारी की ब्राण्ड के नाम, ओके टेस्टेड, बेस्ट क्वालिटी या फल का नाम लिखा होता है। फल विक्रेता फलों में स्टीकरों का इस्तेमाल उत्पाद को प्रीमियम दर्जे का दिखाने के लिए करते है

कैमिकल का किया जाता है प्रयोग
फलों के ऊपर लगे स्टीकर में कैमिकल होता है और कैमिकल की वजह से फल दूषित हो जाता है। स्टीकर के गोंद में खतरनाक कैमिकल होते है, जो मनुष्य के स्वास्थ्य के खतरनाक हैं। इसके बावजूद इनकी बिक्री की जा रही है।

यह है नियम
खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के तहत खाद्य कारोबारी असुरक्षित खाद्य का संग्रह, वितरण, विक्रय नहीं कर सकता। कोई भी व्यक्ति सड़े गले फलों एवं सब्जियों का विक्रय नहीं करेगा। फल एवं सब्जियों में मोम, खनिज तेल, अन्य रंगों का पॉलिश भी अब कारोबारी नहीं कर सकते। इतना ही नहीं नए नियमों के मुताबिक फलों को कार्बाइट या एसीटिलिन गैस जैसे केमिकल से पकाकर बेचना भी प्रतिबंधित है।

सेहत के लिए है नुकसानदायक
इस संबंध में डाक्टरों का कहना है कि पॉलिश हुए फल खरीदने से बचना चाहिए। उनका कहना है कि कुछ फलों पर मोम की पॉलिश रहती है, जिसका मकसद फल को चमकाना होता है। कुछ लोग कहते हैं कि इससे फल की लाइफ बढ़ती है जो गलत है। एफएसएसएआई ने पॉलिश किए हुए और स्टीकर लगे फलों की बिक्री पर रोक लगाने के आदेश दिए हुए हैं। वरिष्ठ डॉक्टर सुशील कुमार की सलाह है कि कोई भी फल और सब्जी हो उसका अच्छे से धुलने के बाद ही सेवन करना चाहिए। जिन फलों पर पॉलिश होने की आशंका है उनको गुनगुने पानी में धुलने के बाद ही खाएं। जहां स्टीकर लगा हुआ हो वहां से काटकर फेंक दें।