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प्राकृतिक जड़ी-बूटियों की मदद से गर्भावस्था में होने वाली इन बिमारियों से पाए मुक्ति

शरीर में होने वाली पोषक तत्त्वों की कमी की पूर्ति के लिए हर चिकित्सा पद्धति में सप्लीमेंट्स दिए जाते हैं. ये मुख्यत: कैल्शियम  आयरन के होते हैं जिन्हें हर आयु और वर्ग के आदमी को देते हैं. प्राकृतिक जड़ी-बूटियों के अर्क से तैयार होने के कारण ये दुष्प्रभाव नहीं छोड़ते. आइए जानते इनके फायदाें के बारे में :-

 

बच्चों में उपयोगी : इनमें 4 माह बाद से दांत निकलने प्रारम्भ हो जाते हैं. कैल्केरिया फॉस की 1-1 गोली दिन में तीन बार एक चम्मच पानी में घोलकर देते हैं. वहीं बायो-21 दवा आठ माह से डेढ़ वर्ष तक दो-दो गोली दिन में तीन बार चम्मच में घोलकर देते हैं. ये कम से कम एक वर्ष तक चलती हैं. निर्बल हड्डियां, अधिक पसीना आने, चूना, मिट्टी खाने की आदत होने पर कैल्केरिया कार्ब दिन में 3 बार देते हैं.

गर्भावस्था में लाभदायक : प्रेग्नेंसी के दौरान महिला के शरीर में आयरन तत्त्व की कमी से एनीमिया रोग आम है. ऐसे में गर्भावस्था के दौरान चौथे माह से महिला को फैरम फॉस आठवें माह तक दिन में 4-4 गोली तीन बार लेने की सलाह देते हैं.

वृद्धावस्था : आयु के इस पड़ाव पर 50-60 साल की आयु के बाद ज्यादातर पुरुष और स्त्रियों की मांसपेशियां  हड्डियां निर्बल होने लगती हैं. ऐसे में कैल्शियम फॉस दिन में तीन बार 4-4 गोली  जोड़ों में होने वाले दर्द से राहत पाने के लिए कैल्केरिया फ्लोर देते हैं.

प्राकृतिक स्रोत से पूर्ति: महत्वपूर्ण पोषक तत्त्वों की पूर्ति के लिए खाए जाने वाले सप्लीमेंट्स तभी प्रभाव करते हैं जब इनके प्राकृतिक स्रोतों को नियमित लेते रहें. जैसे कैल्शियम की पूर्ति के लिए दूध और आयरन के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां रोज खानी चाहिए. कई बार इन्हें खाने के बावजूद आंतें इनमें उपस्थित तत्त्वों को अवशोषित नहीं कर पाती. होम्योपैथी सप्लीमेंट इनके अवशोषण और काम को ठीक करने में मददगार है.