इटावा। पक्की सराये स्थित बड़े इमामबाड़े में शिया समुदाय के नवयुवकों द्वारा मजलिस का आयोजन किया गया, जिसमे कर्बला के शहीद इमाम हुसैन के दुलदुल, मौला अब्बास के अलम, हजरत अली अकबर के ताबूत और अली असगर के झूले की ज़ियारत बरामद की गई।
मजलिस में तकरीर करते हुए मौलाना अबूज़र अब्बास खान इमामे जुमा शिकोहाबाद ने कहा अल्लाह ने रसूल की बेटी फ़ातिमा ज़हरा को बहुत बड़ा मर्तबा दिया। फरिश्ते जिब्रील रोज दरे ज़हरा पर आते थे लेकिन जब रसूल अल्लाह, मौला अली, फ़ातिमा ज़हरा, हसन, हुसैन एक चादर के नीचे आये तो जिब्रील को भी इजाजत लेनी पड़ी। फ़ातिमा ज़हरा ने फरमाया कि जो मजलिसों में आयें वही मोमिन हैं। जैसे नबी इब्राहीम अ.स. बिना मेहमान के कहना5 नहीं खाते थे उसी तरह जनाबे अली अकबर की पहचान मेहमान नवाजी थी, वह रोज भूखों को खाना खिलाते थे। वह हमशक्ले रसूल थे दुश्मने इस्लाम ने कर्बला में अली अकबर और अली असगर को तीन दिन की भूख प्यास में शहीद कर दिया। सोजख्वानी तस्लीम रजा, सलीम रजा, जहूर नक़वी, मसी रजा, नोहाख्वानी तनवीर हसन व अख्तर अब्बास ने की। सफदर ईरानी, सलमान रिज़वी, आबिद रजा, तालिब रजा, तालिब रिजवी, अर्श ने कलाम पेश किए। मजलिस का संचालन मौलाना अनवारुल हसन जैदी इमामे जुमा इटावा ने किया। मजलिस की वयवस्था में जहीर अब्बास, आतिफ एड. शावेज़ नक़वी, राहत हुसैन रिज़वी, मो. मियां, नुसरत हुसैन, शब्बर अक़ील, हम्माद, फ़ातिक, शादाब हसन, सोनू नक़वी, समर, राहिल, शादाब हसन, जीशान हैदर, शानू, शहजादे, शारिब का सराहनीय योगदान रहा। मजलिस में अल्हाज़ कमर अब्बास नक़वी, हाजी अरशद मरगूब, राहत अक़ील, तहसीन रजा, मो.अब्बास, आलिम रिज़वी, अयाज हुसैन, इबाद रिजवी, शौजब रिजवी, मो. अहमद, रानू, राहिल, आफताब सहित बड़ी संख्या में पुरुषों व महिलाओं ने भाग लिया।