देश की तरक्की की रफ्तार में सुस्ती आने की आशंका है।फिच रेटिंग एजेंसी के मुताबिक घरेलू स्तर पर बढ़ती ब्याज दरें और दुनिया भर में मंदी की आशंकाओं से विकास दर पर नकारात्मक असर पड़ेगा.मौजूदा वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था 7 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है.
भारतीय अर्थव्यवस्था जून तिमाही के दौरान 13.5 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ी है, जो कि पिछले एक साल में सबसे तेज ग्रोथ रही है. हालांकि ग्रोथ के ये आंकड़ा औसत अनुमानों से नीचे था. अधिकांश अनुमानों में ग्रोथ 15 प्रतिशत के करीब रहने की बात कही थी.अगले वित्त वर्ष में भी विकास दर 7.4 प्रतिशत के पहले के अनुमान के मुकाबले अब 6.7 प्रतिशत तक रह जाने की संभावना है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि ग्लोबल इकोनॉमी की स्थिति के अलावा बढ़ती महंगाई और सख्त मॉनिटरिंग पॉलिसी की वजह से यह सुस्ती आ सकती है।इससे पहले जून में भारत के लिए 7.8 प्रतिशत ग्रोथ का अनुमान दिया गया था. एजेंसी ने भारत के साथ साथ दुनिया भर के लिए ग्रोथ अनुमानों में कटौती की है. एजेंसी के मुताबिक दुनिया भर में कई ऐसे संकेत देखने को मिल रहे हैं