पाकिस्तान और अफगानिस्तान में दरार बढ़ती जा रही है। ये सब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के यूएनजीए में दिए गए भाषण से हुआ। अब तालिबान और दूसरे अफगान नेताओं ने उनके अफगानिस्तान पर लगाए गए आरोपों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
तालिबान ने कहा है कि अफगानिस्तान में किसी भी सशस्त्र समूह की मौजूदगी नहीं है। इसे समझने के लिए हमने विदेश मामलों के जानकार डॉ. आदित्य पटेल से बात की। उन्होंने कहा, ‘कई मामलों को लेकर अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच विवाद बढ़ा है।
अफगानिस्तान की तालिबान सरकार आने के बाद से दुनिया के कई देशों ने दूरी बनाना शुरू कर दिया था। ऐसी स्थिति में अफगानिस्तान में काफी संकट बढ़ गया था। तब भारत ने खाद्य पदार्थ व अन्य सहायता भेजकर अफगानिस्तान के लोगों की मदद की।
अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार ने कश्मीर मुद्दे को भारत-पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा बताया। इसके पहले हमेशा तालिबान की तरफ से इस मुद्दे पर पाकिस्तान को ही समर्थन मिलता था।
अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने कहा कि पाकिस्तान अपने पड़ोसी देश अफगानिस्तान के लोगों, संस्कृति और विरासत के खिलाफ आतंकवाद का पोषण और इस्तेमाल कर रहा है।पूर्व उप राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने भी ऐसा लगता है कि पाकिस्तानी सेना सभी आतंकवादियों को पनाह देने और समर्थन करने में तालिबान के ओवर परफॉर्मेंस से खुश नहीं है।