फोटो:महाआरती करते लोग
जसवन्तनगर(इटावा)।यहां चल रहे मुनि आचार्य आदित्य सागर के चातुर्मास महोत्सव में भव्यता, सौम्यता से दस दिवसीय कल्पद्रुप महा मंडल विधान चल रहा है ।छठवें दिन सौधर्म इंद्र सुरेंद्र कुमार ,चेतन जैन चक्रवर्ती समीप जैन,कुबेर इंद्र दिनेश चंद जैन थे।
सोधर्म इंद्र ने समवसरण में चतुर्मुखी भगवान का अभिषेक व विवेक जैन ने शांति धारा की।
समवसरण में विराजमान आचार्य आदित्य सागर महाराज ने दान की महिमा विस्तार से जिज्ञासु जैन मताब्लंबियों कोबताई। राजा शेणिक बने राज कुमार जैन के सवाल का जबाब देते हुए आदित्य।सागर महाराज ने बताया की दान चार प्रकार के होते है । औषधि दान जो देता है ,वह निरोगी रहता है। ज्ञान का दान देता है ,उसकी प्रतिष्ठा बढ़ती है। अभय दान देता है, वह जिंदगी भर निर्भय रहता है। उसे किसी चीज का डर कभी नही सताता ओर जो आहार दान देता है उसकी धन धान्य संपत्ति दिन दूनी रात चौगनी गति से बढ़ती है।
सायमकालीन महा आरती की बोली सुरेंद्र कुमार जैन ,श्याम गारमेंट्स परिवार ने पाई। ढोल नगाड़ों के साथ पूरा जैन समाज महा आरती परिवार के घर पर पहुचे ओर वहाँ से मंदिर लाये । श्री जी की ओर गुरु की प्रथम मंगल आरती की।
रात्रि में मंचीय कलाकारों द्वारा भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए गए।
महोत्सव कमेटी ने बताया यह विधान जनकल्याण के लिए है। जगत की शांति के लिए जाप अनुष्ठान किया जा रहा है।
~वेदव्रत गुप्ता