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50 वर्ष पुराने नीम के वृक्ष के नीचे प्रकट हुआ शिवलिंग, 1 वर्ष से निरंतर बह रही है दूध की धार

रिपोर्ट – नितिन दीक्षित,भरथना। इटावा: जनपद में भरथना तहसील क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम खितौरा में एक ऐसा चमत्कार देखने को मिला है। जिसे देखने के बाद आप भी एक बार में इस बात पर विश्वास नहीं करेंगे, बीते एक बर्ष से एक नीम के पेड़ से मीठा दूध निकलता है । उसी दूध ने बहते-बहते अपना रास्ता बना लिया और एक जगह इकट्ठा होता रहा । जिसकी वजह नीम के पेड़ के नीचे की जमीन मुलायम हो गई और उसी जगह पर एक शंकर जी की शिवलिंग नजर आने लगी।

ग्राम खितौरा निवासी अशोक यादव ने जानकारी देते हुए बताया है कि उनके घर के बाहर खड़े नीम के पेड़ो में से एक पेड़ में बीते 1 वर्ष पूर्व दूध जैसा सफेद और मीठा तरल पदार्थ निकलना प्रारंभ हुआ था । जिसके कुछ दिनों बाद उन्होंने पेड़ को कटाने का फैसला ले लिया । जिस दिन पेड़ को काटा जाना था, उसी दिन से एक दिन पूर्व रात्रि में उन्हे एक सपना आया और सपने में उन्होंने देखा की नीम के पेड़ के नीचे शंकर भगवान की शिवलिंग मौजूद है। और अगली सुबह वैसा ही हुआ । जब उनके पड़ोसी नीम के पेड़ के पास लगे नल से पानी भरने आए तो उन्होंने देखा कि पेड़ के नीचे शंकर जी की शिवलिंग नजर आ रही है। जिसके बाद ग्रह स्वामी अशोक यादव के द्वारा शिवलिंग को सुरक्षित बाहर निकाला गया । और शंकर भगवान की उस शिवलिंग को विधिवत हवन पूजन कराके उसी नीम के पेड़ के नीचे स्थापित करवा दिया । तब दूध की धार निकलना बंद हो गई थी । कुछ समय पश्चात दूध की धार पुनः निकलना प्रारंभ हो गई और तबसे लेकर आज तक दूध की धार निरंतर वह रही है।

स्थानीय निवासियों से जानकारी प्राप्त करने पर ज्ञात हुआ है कि नीम के पेड़ से निकलने वाली इस दूध की धार को ग्रामीणों ने अमृत और संजीवनी नाम दिया है । साथ ही पेड़ के नीचे निकली शिवलिंग को नीमकरेश्वर भगवान का नाम भी दे दिया गया है । ग्रामीणों के द्वारा बताया गया है कि इस दूध को जो भी व्यक्ति चर्म रोग, ब्लडप्रेशर, शुगर जैसी बीमारियों में दवाई के तौर पर उपयोग में लाता है। उसकी बीमारी जड़ से समाप्त हो जाती है। और साथ ही जो भी व्यक्ति शंकर भगवान से मन्नत मांगता है भगवान उसकी मन्नत अवश्य पूरी करते है।

काफी लोग इस औषधीय रूपी दूध का लाभ ले रहे है। और रोग मुक्त हो रहे है। इसीलिए गांव वालों ने इसका नाम संजीवनी और अमृत रख दिया है।

हमारी पड़ताल यही खत्म नहीं हुई थी हमने जब इसी जगह के वृद्ध जनों से बात चीत की तो वृद्धों द्वारा बताया गया है कि यह नीम का वृक्ष 50 वर्ष पुराना है जिसमे लगभग 1 वर्ष पूर्व ये अलौकिक चमत्कार हुआ है। और इस वृक्ष से औषधीय रूपी दूध निकलना प्रारंभ हुआ है। जिससे यहां आस पास के लोगो को असाध्य रोगों में काफी आराम मिला है। और यहां के लोग इसे एक चमत्कारी औषधि मानते है।

साथ ही स्थानीय निवासियों के द्वारा बताया गया था कि इस पेड़ ने निकलने वाले दूध का स्वाद मीठा है। साथ ही इस दूध को हाथो में रगड़ने पर हाथो में एक अच्छी खासी चिकनाहट आ जाती है। जब हमारी टीम के द्वारा इस दूध को चखा गया तो दूध वास्तव में मीठा था। साथ ही दूध में चिकनाहट भी मौजूद थी।

इस गांव के निवासियों के लिए ये नीम का वृक्ष किसी डाक्टर से कम नहीं है। यहां के निवासी वृक्ष के नीचे स्थापित शंकर जी की शिवलिंग की पूजा करते है। और इस वृक्ष से निकलने वाले औषधीय रूपी दूध का लाभ लेते है। धीरे धीरे ये वृक्ष और वृक्ष के नीचे स्थापित शंकर जी की शिवलिंग आस पास के निवासियों के लिए आस्था का केंद्र बनता जा रहा है।