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पुलिस को बताई गई बरामद बच्चों की देखरेख का तरीका

फोटो जसवंत नगर थाने में बैठक करते जिला बाल संरक्षण अधिकारी

जसवंतनगर(इटावा)। बाल संरक्षण विभाग द्वारा थाना परिसर में पुलिस की भूमिका को लेकर एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें बच्चों के अधिकारों के प्रति पुलिस प्रशासन को कैसे सजग रहे, इसकी जानकारी दी गई। विस्तार से पुलिस भूमिका का ज्ञान कराया गया।

जिला बाल संरक्षण अधिकारी सोहनलाल गुप्ता ने बताया कि यदि भूले- भटके बच्चों को पुलिस बरामद करती है, तो उनसे सबसे पहले ये पूछा जाए कि कही वे भूखे तो नहीं हैं? यदि हां तो उन्हें सबसे पहले खाने को दिया जाए! उन्हें नींद की स्थिति में पहले आराम कराया जाए। इसके बाद अन्य पूछताछ ही की जाए। ऐसे बच्चों को पुलिस स्वनिर्णय से किसी को गोद नही दे सकती, बल्कि ऐसे बच्चो को पहले बाल संरक्षण समिति को सौपा जाए।

उन्होंने आगे बताया शिशु से लेकर 18 वर्ष तक से कम उम्र के बच्चे तथा बच्ची किशोर न्याय अधिनियम 2015 के अधीन आते हैं ,ऐसे बच्चे मिलने पर उनका डॉक्टरी परीक्षण भी कराया जाना चाहिए।

पुलिस की बालको के प्रति भूमिका सुधार के लिए इस तरह की बैठकें हर थाने में पिछली 11 जनवरी से बाल संरक्षण अधिकारी ने पूरे जिले में शुरू की है।अब तक चार थानों इटावा कोतवाली, सिविल लाइन, फ्रेंड्स कॉलोनी थाने आदि में ऐसी आयोजित हो चुकी है। बुधवार को थाना जसवंतनगर में आयोजित हुई।

इस दौरान क्राइम इंस्पेक्टर गणेश कुमार, उप निरीक्षक रमाकांत तथा थाना क्षेत्र के अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

*वेदव्रत गुप्ता