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जीरो टालरेन्स फेल लंबे अरसे से चल रहा फर्जीवाड़े का खेल  

माधव संदेश/ संवाददाता।रायबरेली । प्रदेश की योगी सरकार की जीरो टालरेन्स नीति को उनके ही मातहत ठेंगा दिखाने से बाज नहीं आ रहे हैं । डीएम की लाख प्रयासों के बाद भी उनकी आंखों में धूल झोंककर निबंधन विभाग में कूटरचित दस्तावेजों के सहारे बैनामो का खेल चल रहा है । निबंधन कार्यालय में खुलेआम चल रहे फर्जीवाडे़ को रोकने की सभी कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं । जिम्मेदार अधिकारी की उदासीनता का भूमाफियाओं द्वारा जमकर फायदा उठाया जा रहा है । उल्लेखनीय है कि जब भी जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव ने शहरी क्षेत्र के बैनामो का स्थलीय निरीक्षण किया तो लगभग सभी बैनामो में कुछ न कुछ गड़बड़ी अवश्य मिली थी । कई जमीनों के बैनामो में लाखों रुपयों की स्टाम्प चोरी के मामले प्रकाश में भी आए । सभी प्रकरणों में डीएम को जांचकर्ताओं द्वारा गुमराह कर जांच की इतिश्री कर ली । प्रायः बड़े मूल्य के होने वाले अधिकतर बैनामो में स्टाम्प चोरी करके करोड़ों रुपयों के सरकारी राजस्व का पलीता लगाया जा रहा है । कृषि योग्य जमीनों और आवासीय जमीनो के बैनामो में तथ्यों के साथ ही फोटो भी बदल कर बैनामा हो जा रहा है । दिलचस्प यह है कि बड़े बड़े खेल विवादित जमीनों के बैनामे के दौरान किया जाता है । सूत्रों की माने तो प्रापर्टी डीलरो द्वारा रजिस्ट्रार से डील कराये जाने का बकायदा एक चैनल काम कर रहा है । इतना ही नहीं इसके अतिरिक्त यदि सरकारी रशीद के बराबर घूस नहीं दिया तो बैनामा करा पाना बिल्क़ुल असंभव है । बड़े दिनों से चल रहे गोरखधंधे को लेकर विभागीय लोगों में भी तरह-तरह की चर्चा हो रही है । अक्सर कूटरचित अभिलेखों के सहारे फर्जीवाडे़ से बैनामा कराए जाने के मामले प्रकाश में आते रहते हैं । बताते चलें कि जब जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव ने बड़े मूल्य के कई बैनामों का अचानक स्थलीय निरीक्षण किया था तो पंजीकृत बैनामों पर स्टाम्प शुल्क और निबन्धन शुल्क की कमी पाये जाने पर खूब नाराजगी जताते हुए रजिस्ट्रार और सब रजिस्ट्रार को जमकर फटकार लगाई थी और सहायक महानिरीक्षक निबन्धन को वसूली के लिए निर्देश दिये थे ।

इनसेट

रजिस्ट्री कार्यालय और तहसील के जिम्मेदारों पर सवालिया निशान

रायबरेली । उल्लेखनीय है कि वर्ष 2013 के मई माह में सदर तहसील के अकबरपुर कछ्वाह में अनुसूचित जाति के भूस्वामी के नाम दर्ज एक ही गाटा संख्या के भूभाग से चार लोगों के नाम जमीन का बैनामा हो गया । दिलचस्प है कि बैनामा कराने वाले इन चार लोगों में एक उन्नाव और तीन रायबरेली के निवासी हैं । बैनामा कराने वालों में से एक शिक्षिका के पति वर्तमान में सदर तहसील में ही लेखपाल हैं । शायद यहीं कारण है कि बिना उच्चाधिकारियों की अनुमति दलित की ज़मीन का बैनामा और फिर वर्ष 2022 के अक्टूबर माह में तत्कालीन तहसीलदार के आदेश पर चारों लोगों के नाम भूखंडों का दाखिल खारिज भी कर दिया जाना बड़े स्तर पर हुए फर्जीवाड़े की ओर इंगित करता है ।