अमेरिका और पाकिस्तान के बीच फिर से संबंध मजबूत करने की कोशिशें हाल में खासा तेज हो गई हैं। कूटनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक दोनों देशों ने आपसी रिश्ते को भारत और अफगानिस्तान के साथ उनके अलग-अलग रिश्तों से अप्रभावित रखने का तरीका ढूंढ लिया है।
इसका मतलब यह है कि भारत से अमेरिका के गहराते संबंध पर पाकिस्तान एतराज नहीं करेगा। उधर अफगान तालिबान से पाकिस्तान के रिश्तों की अमेरिका अनदेखी करेगा।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो सहित कई बड़े पदाधिकारियों ने अमेरिका की यात्रा की है। इसके बाद पाकिस्तानी टीकाकारों में इस सवाल पर चर्चा तेज हो गई है कि अमेरिका से बनते नए संबंध का चीन से पाकिस्तान के रिश्तों पर क्या असर होगा। कुछ टीकाकारों ने तो अनुमान लगाया है कि पाकिस्तान धीरे-धीरे चीन से दूर होता जा सकता है।
पिछले वर्ष सितंबर में जब पाकिस्तान के तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा ने अमेरिका की यात्रा की, तब पाकिस्तान के एक अधिकारी ने दावा किया था कि अब अमेरिका पाकिस्तान से वैसा ही रिश्ता कायम कर रहा है। पिछले साल के आरंभ में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान को सत्ता से हटाने की मुहिम चलाई गई।