दीपक अवस्थी।अजीतमल औरैया।श्री राम जानकी मंदिर अमावता में चल रही भागवत कथा के चौथे दिन आज आचार्य रजनीश महाराज श्री कृष्ण जन्मोत्सव वर्णन किया। जिसमें उन्होंने श्री कृष्ण से संस्कार की सीख लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण स्वयं जानते थे कि वह परमात्मा हैं उसके बाद भी वह अपने माता पिता के चरणों को प्रणाम करने में कभी संकोच नहीं करते थे। कहा जाता है कि कर्म ही पूजा है इंसान जन्म से नहीं कर्म से महान होता है। परीक्षित सुधा दुबे एवं आदित्य दुबे और नगर वासियों ने भागवत कथा का श्रवण किया और अपने जीवन को सफल बनाएं।