हिंदी सिनेमा की पॉपुलर अभिनत्री थीं नंदा . महज 10 साल की उम्र में ही उनके कंधों पर परिवार की जिम्मेदारी आ गई थीं. करिअर की शुरुआत में उन्होंने हीरो की छोटी बहन के किरदार निभाकर पहचान बनाना शुरू किया था.
पहचान बनाने के बाद वह लीड रोल में नजर आई थीं. नंदा को पहचान फिल्म ‘जब-जब फूल खिले’, ‘गुमनाम’ और ‘प्रेम रोग’ जैसी हिट फिल्मों के जरिए मिली थी. आज हम आपको नंदी की जिंदगी की ऐसी दर्दभरी कहानी बताने जा रहे हैं.
फिल्मी करिअर की शुरुआत करने की नंदा की बड़ी दिलचस्प कहानी है. स्कूल से आते ही पिता ने कह दिया था कि शूटिंग पर जाना है, तैयारी कर लेना. ये कहकर एक्ट्रेस के लड़कों वाली कटिंग करा दी थी.
नंदा ने लड़कों वाला हेयरकट फिल्म ‘मंदिर’ के लिए कराया था. इस फिल्म का निर्देशन नंदा के पिता ने ही किया था. लेकिन फिल्म का काम पूरा होने से पहले की पिता की मौत हो गई. इसके बाद पूरे परिवार की जिम्मेदारी नंदा के कंधों पर आ गई. घहिंदी फिल्मों में नंदा ने बतौर हीरोइन 1957 में फिल्म ‘तूफान और दिया’ में काम किया था.