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इंद्र देवता के प्रकोप और मौसम की अनिश्चितता से अन्नदाता मायूस

फोटो :- गुरुवार दोपहर बरसता हुआ पानी

जसवन्तनगर(इटावा)। मौसम की अनिश्चितता और इंद्र देवता द्वारा बेमौसम बरसात करने से अन्नदाता किसान परेशान हो उठा है।

इधर 3 दिनों से क्षेत्र में धूप- छांव जारी है ।सोमवार शाम अंधड़ के साथ बरसात और कहीं-कहीं उपल वृष्टि हुई। गुरुवार दोपहर भी क्षेत्र के कई हिस्सों में जमकर बरसात हुई।

इस समय खेतों में गेहूं या तो पक रहा है अथवा उनमें। बाले पड रही हैं और गेहूं के दाने बनने की प्रक्रिया चल रही है। दूसरी ओर इस क्षेत्र में बहुतायत से पैदा होने वाले आलू की खुदाई भी अंतिम दौर में है। सरसों फक कर खेतों में कटने को तैयार है अथवा कटकर खलियानो में पहुंच गई है।

सोमवार को दिन में तेज धूप के बाद मौसम ने अचानक पलटी मारी थी । आसमान में स्याह काले बादल छा गए थे और तेज हवाओं के साथ बारिश होने लगी थी। कहीं-कहीं उपल वृष्टि भी हुई।

ऐसा पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता के चलते मौसम मैं हुआ बताया गया है। हालांकि मंगलवार को सुबह के समय पछुआ हवा चली और बादल खुल गए। फिर धूप भी निकली।शाम से बदली छा गई, जो फिर धूप छांव करती रही।

गुरुवार सुबह फिर पुरवइया हवा बही और दोपहर में बादल छा जाने से दिन में ही शाम हो गई। फुहारें बरसने लगीं। बाद में गरज-चमक के साथ पानी बरसा। कुछ जगह बारिश संग ओले भी गिरे, जबकि कुछ इलाकों में सिर्फ बूंदाबांदी हुई। तेज हवा के साथ हल्की बारिश और ओलावृष्टि से किसानों की चिंता बढ़ गई।

क्षेत्र के रुकन पुरा ,हरकूपुरा, निलोइ प्रताप पुरा, छिमारा आदि गांव के किसान कहते हैं कि 2 दिन में हुई बरसात से आलू की खुदाई और उसकी बोरों में भराई काफी प्रभावित हुई है। क्योंकि कई दिनों से गर्मी पड़ने से आलू का टेंपरेचर वैसे ही बढ़ा हुआ है। इस बरसात से आलू खुले में पड़े रहने पर सड़ सकता है।

मलाजनी, डुढहा, बीवामऊ, फुलरई, कुरसैना धनुआ, खेड़ा धौलपुर, भावलपुर आदि गांव के किसान, जो गेहूं की खेती करते हैं और जिन्होंने अपनी सरसों काटकर खलिहानों में रखी है, उनके अनुसार गेहूं की फसल तेज हवा और पानी से 20 – 25 परसेंट तक खेतों में पसर गई है। जो गेहूं की बाली पक चुकी हैं, उनमें बरसात से गेहूं दागी होने की संभावना बढ़ गई है।

उन्होंने कहा कि इस समय बरसात होना या ऊपल वृष्टि दोनों ही किसानों के लिए नुकसानदायक है।

उन्होंने बताया कि बरसात से गेहूं के पेड़ के तने ,जिनसे भूसा तैयार होना है, वह भी खराब हो रहा है।इससे पशुओं के चारे की समस्या पैदा हो सकती है। भूसा महंगा बिकेगा।

इस मौसम में बरसात होने से सब्जियों की फसलों को भी काफी नुकसान हुआ है ।हरी मिर्च के पेड़ जमींदोज हो गए हैं, जिससे बाजारों में हरी मिर्च की आमद कम हो गई है। 20 – 25 रुपए किलो वाली मिर्च 80 से लेकर डेढ़ सौ रुपए किलो तक बिकने लगी है। टमाटर, बैगन खीरा, भिंडी, लौकी आदि की फसलों को भी नुकसान है।

*वेदव्रत गुप्ता