देसी फ्रिज कहा जाने वाले मटके की लोकप्रियता एसी और रेफ्रिजरेटर के दौर में कम होने लगी है। लेकिन गर्मी के दिनों में फ्रिज का ठंडा पानी पीने की बजाए मटके का पानी पीना ही बेहतर रहता है।
आजकल लोग शरीर का पीएच लेवल मैंटेन करने के लिए अलग-अलग तरीके से एल्काइन वाटर को पीने लगे है। जबकि मटके की मिट्टी में मौजूद नेचुरल एल्काइन गुण पानी की अम्लता के साथ प्रभावित होकर, शरीर को उचित PH संतुलन देता है। शरीर का पीएच लेवल मैंटेन रहने से कई तरह की बीमारियां शरीर को छू पी नहीं पाती है।
घड़े का पानी पीने से सर्दी-जुकाम जैसी समस्या नहीं होती, जबकि फ्रिज का पानी पीने से इम्यूनिटी कमजोर होती है। घड़े की पानी की एक खासियत ये भी है कि मिट्टी के घड़े का पानी पीने से बार-बार प्यास नहीं लगती। घड़े का पानी पीने से टॉक्सिक पदार्थ बाहर निकलते हैं।
पानी के घड़े को तीन महीने से ज्यादा इस्तेमाल में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि मिट्टी में मौजूद मिनरल तीन महीनें में खत्म हो जाते हैं। तीन महीने बाद नया घड़ा इस्तेमाल लाना चाहिए।