देश के ऑटो मार्केट पर मारुति सुजुकी इंडिया का कब्जा करीब 50 फीसदी है। मारुति के कार खरीदने वाले शहर से लेकर गांव तक के लोग हैं। इसके चलते मारुति की गाड़ियों में वेटिंग पीरियड साल भर तक पहुंच गई है।
कंपनी ने चिप संकट को कम करने के लिए दूसरा रास्ता ढूंढा हैं। मारुति कई स्रोतों से इलेक्ट्रॉनिक्स कलपुर्जे खरीदने का प्रयास कर रही है। साथ ही कंपनी अपनी कारों में कुछ प्रकार की चिप के इस्तेमाल को कम करने का भी प्रयास कर रही है।
मारुति सुजुकी इंडिया के कार्यकारी अधिकारी (कॉरपोरेट मामले) राहुल भारती ने विश्लेषक कॉल में कहा, ”चिप की कमी एक वैश्विक समस्या है। यह विभिन्न मॉडल, विभिन्न कंपनियों, अलग-अलग मॉड्यूल को भिन्न तरीके से प्रभावित कर रही है। हमारे सभी प्रयास कई स्रोतों से आपूर्ति को व्यवस्थित करने पर हैं।”
इसके बावजूद भी आपूर्ति पक्ष की दिक्कतें कायम हैं।” चालू वित्त वर्ष में कंपनी की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ”हमारे पास पूरे वर्ष का परिदृश्य नहीं है, लेकिन कम से कम पहली तिमाही कठिन होगी और मोटे तौर पर अनिश्चितता बनी रहेगी।”