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मंडी परिसर में किसान और व्यापारी तरसते हैं, बूंद बूंद पानी को

फ़ोटो: सफेद हाथी बनी खड़ी टंकी और टूटी टोटिया
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जसवंतनगर(इटावा)। नगर की कृषि उत्पादन मंडी समिति प्रति वर्ष करोड़ो रुपये का राजस्व देती, लेकिन व्यापारियों, किसानों व पल्लेदारों को सुविधाओं के नाम उन्हें पेयजल तक मंडी परिसर में नसीब नहीं है।
   इस भीषण गर्मी में बूंद-बूंद पानी के लिए लोग परेशान है। एक हैंडपंप ही जैसे जैसे तैसे लोगों की प्यास बुझा रहा है।
 मंडी परिसर का अपना नलकूप व जलाशय शोपीस बना  हुआ है। हैंडपंपों की संख्या एक दर्जन से अधिक है, सभी खराब है, मात्र एक ही पानी दे रहा है।
पलसर में लगी पीने के पानी की छोटी टंकियां भी ध्वस्त हैं। उनमें पानी की टोटी या तक नहीं है और ना ही मंडी प्रशासन ने  टोंटियां लगवाने की कोई कोशिश की है।             मंडी समिति में 52  बड़े गल्ला व्यापारी व एक दर्जन थोक सब्जी ।आढ़ती के अलावा  सब्जी व गल्ला बिक्री के लिए प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में किसान आते हैं।  मजदूर व पल्लेदार भी बड़ी संख्या में  हैं। अनुमान है कि मंडी में प्रतिदिन 2000 से लेकर 5000 तक लोगों का आगमन होता है।
बताते हैं कि पिछले10-15 साल से बंद पेयजल योजना के नलकूप को चालू नहीं किया गया है। इन वर्षो के बीच एक अन्य नलकूप भी स्थापित नही हुआ है।
    किसानों ने पानी की किल्लत को लेकर  मंडी सचिव तथा प्रशासन को कई बार शिकायत की हैं ,मगर  समस्या जस की तस है।