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फोटो: फोटो गवाह है, मॉडर्न तहसील की टॉयलेट्स की बदहाली
जसवन्तनगर(इटावा)। नाम मार्डन तहसील और हालत यह कि तहसील खुद बदहाली के आंसू रो रही है।
दर्जन भर अफसरों के दफ्तर इस तहसील भवन में हैं और ये अफसर घर-घर शौचालय और स्वच्छता का राग अलापते हैं।स्वच्छता मिशन जैसी करोड़ों की योजनाओं को क्रियान्वित करते हैं,लेकिन तहसील परिसर में कार्यरत कर्मचारियों और फरियादियों के लिए साफ सुथरी टॉयलेट जैसी सुविधाएं ही यहां उपलब्ध नहीं हैं।
यहां की टॉयलेटस में जगह जगह गंदगी का अंबार लगा है। जिसके चलते कर्मचारियों और फरियादियों दोनों को ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।सपा सरकार में बनी इस नवनिर्मित मार्डन तहसील में दर्जन भर कार्यालय हैं,जिनमें उपजिलाधिकारी, तहसीलदार समेत कई कर्मचारी काम करते हैं। लेकिन तहसील भवन की सभी मंजिलों पर शौचालयों की स्थिति बेहद खराब है। उनमें बदबू फैली रहती है। कुछ के गेट टूटे हैं, तो कुछ में गंदगी का देखी भी नही जाती है।
शौचालयों में अधिकांश के वॉश बेसिन की टोंटियां गायब हैं। नारकीय स्थित में खड़े इन शौचालयों की वजह से महिलाओं को सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। महिला शौचालयों में तो स्थित यह है कि अंदर पानी की टोंटियां गायब होने की वजह से प्लास्टिक की बोतलें रखी है, जिनमे बाहर से पानी भरकर लाना पड़ता है। कुछ महिला शौचालय की शीट तक टूटी पड़ी हैं। मकड़ियों ने जाले बनाकर पूरी तरह से उनमें कब्जा जमाया हुआ है।
तहसील परिसर के अंदर तीसरे तल पर मधुमक्खियों ने एक बड़ा छत्ता बना रखा है। ऐसे में कब मधुमक्खियां हमला कर दें, लोगों को इसका डर हमेशा ही सताता रहता है। फरियादियों सहित यहां कार्यरत कर्मचारियों में भी मधुमक्खियों का भारी खौफ है।
मार्डन तहसील में बुनियादी सुविधाओं की बदहाल स्थिति के लिए किस का लापरवाह रवैया जिम्मेदार है। यह तो खुद अफसर आंकलन करें! परिसर में स्वच्छता और टॉयलेट जैसी बुनियादी सुविधाओं को लेकर उप जिलाधिकारी और तहसीलदार कोई एक्शन ले, तब तो स्थिति सुधर सकती है। वरना राम भरोसे तो तहसील है ही।
मधुमक्खियां तो निश्चित्तःता आने जाने वालों के साथ साथ अफसरों व कर्मचारियों को भी चपेट में ले सकतीं हैं। इसके लिए तो अधिकारियों को कोई न कोई फौरी उपाय निकालना ही चाहिए।
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*वेदव्रत गुप्ता