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सरकारी उपक्रमों को बेचना देश की जनता के साथ धोखा-डॉ राजीव शर्मा

 

मथुरा से अजय ठाकुर

सरकारी उपक्रमों को बेचने का दौर जारी है और एक एक करके सरकारी उपक्रम बेचे जा रहे हैं,
क्या करना चाहती है सरकार समझ से परे है।
पिछले ७० वर्षो में बहुत मेहनत और परिश्रम से इन सरकारी उपक्रमों को खड़ा किया गया
इनमे से ज्यादा तर उपक्रमों ने देश के विकास में बहुत योगदान दिया, देश को काफी पैसा भी दिया, लोगो को रोजगार भी दिया, ज्यादातर उपक्रम लाभ में रहे
और आज भी अच्छा लाभ दे रहे हैं। ऐसे में इन उपक्रमों को सस्ता बेचना किसी भी दृष्टि से ठीक नही। जो उपक्रम घाटे में चल रहे हो या नहीं चल रहे हो उनको बेचना तो ठीक है लेकिन को उपक्रम सरकार को लाभ दे रहे हैं उन्हें बेचना ठीक नही है। इन सब उपक्रमों में जनता का पैसा लगा है और जनता की पिछले ७० साल की मेहनत है, उन्हें बेचना जनता के साथ अन्याय है।
जो उपक्रम ठीक नही चल रहे उनको सुधारने का प्रयास सरकार को करना चाहिए, और जो ठीक चल रहे हैं उन्हें और प्रभावशाली बनाना चाहिए ताकि वो अधिक लाभ कमाएं और देश की सेवा कर सकें। संस्थानों को प्राइवेट हाथ में देने के बाद बेरोजगारी की समस्या खड़ी हो जायेगी युवा रोजगार के लिए भटकेंगे और महंगाई भी बढ़ेगी।
सरकारी उपक्रमों को बेचना देश की जनता के साथ धोखा है। इन सब में जनता का पैसा और परिश्रम लगा हुआ है, सरकार को कोई अधिकार नहीं कि वो इन सरकारी उपक्रमों को बेचे। कोई भी सरकार ५ साल के लिए चुनी जाती है आजीवन नहीं फिर सरकारी संपत्ति को सरकार हमेशा के लिए बेच दे ये कहाँ तक उचित है।