रूस के चंद्र अभियान ‘लूना 25’ के विपरीत भारत के ‘चंद्रयान-3’ की सफलता की संभावना कहीं अधिक बताई जा रही है.
चंद्रमा पर जिस जगह ‘चंद्रयान-3’ की लैंडिंग होनी है, उसके लगभग 100 किलोमीटर दूर ‘लूना 25’ को लैंड करना था.
इसमें एक तथ्य और भी है कि ‘चंद्रयान-3’ की लैंडिंग में ‘चंद्रयान-2’ अभियान के अनुभव से काफी मदद मिली है
पिछले अनुभव के आधार पर ‘चंद्रयान-3’ के मॉड्यूल में ज़रूरी बदलाव किए गए हैं ताकि लैंडिंग के वक़्त अचानक लगने वाले किसी झटके की सूरत में उसे संभाला जा सके.
सामान्य शब्दों में कहें तो आख़िरी लम्हों में जैसा कि अक़सर होता है, अगर कुछ गलत हुआ तो भी वैज्ञानिकों के पास उसे संतुलित करने और लैंडिंग जारी रखने का मौका होगा.
ऐसा कहा जा रहा है कि चंद्रमा की कक्षा में मौजूद ‘चंद्रयान-2’ के ऑर्बिटर और ‘चंद्रयान-3’ के बीच संपर्क स्थापित हो गया है.
चंद्रयान-3 अगर चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में कामयाब रहा तो इतिहास में चंद्रमा की सतह पर सफल लैंडिंग करने वाला वो चौथा देश होगा.चंद्रमा की सतह की ओर बढ़ रहे ‘चंद्रयान-3’ के लिए ‘चंद्रयान-2’ ने अपने मैसेज में कहा है- ‘वेलकम बडी.’