चंद्रयान-3 के साथ भेजा गया रोवर प्रज्ञान अपने लैंडर विक्रम से बाहर आ गया है। इसने चंद्रमा पर चहलकदमी की, जिसे इसरो ने ‘चंद्रमा पर भारत की चहलकदमी’ बताया। कहा, वह जल्द नए अपडेट जारी करेगा। चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद यह सवाल पूछे जा रहे हैं कि इसके साथ भेजे सात उपकरण क्या काम करेंगे, इनसे हमें क्या फायदे होंगे और भविष्य के अभियानों को क्या मदद मिलेगी? इसरो ने दक्षिणी ध्रुव पर उतारे 1,752 किलो वजनी लैंडर विक्रम में चार प्रमुख उपकरण लगाए हैं। इसमें 26 किलो का प्रज्ञान रोवर भी था, जिसमें दो और उपकरण हैं, तो वहीं एक उपकरण चंद्रमा की परिक्रमा कर रहे प्रोपल्शन मॉड्यूल में है। इनके काम, उपयोग और फायदों के बारे में विस्तार से जानें…
पृथ्वी के बाहर जीवन की तलाश खगोल विज्ञान का सबसे रोचक विषय है। इसी में मदद करेगा, चंद्रयान-3 के साथ भेजा गया शेप यानी स्पेक्ट्रो-पोलरीमेट्री ऑफ हेबिटेबल प्लेनेट अर्थ। यह प्रोपल्शन मॉड्यूल में लगा इकलौता उपकरण है। इसका काम पृथ्वी से करीब चार लाख किमी दूर चंद्रमा की परिक्रमा करते हुए पृथ्वी से जुड़ी जानकारियां जुटाना है, जिन्हें पृथ्वी के उपग्रह बेहतर ढंग से नहीं दे पाते। शेप हमें उन ग्रहों के बारे में भी बताएगा, जो पृथ्वी की तरह हो सकते हैं, यानी जहां जीवन हो सकता है।
शेप पृथ्वी से आ रही रोशनी व तरंगों से विश्लेषण करेगा ताकि पुख्ता तौर पर बता सके कि अगर उसे किसी ग्रह पर जीवन की संभावना नजर आ रही है, या जो ग्रह पृथ्वी की तरह दिख रहा है, क्या वहां सच में जीवन है? या फिर क्या मानव वहां जीवन को बसा सकता है? इससे कई अहम रहस्य खुलेंगे।