शायद ही कोई ऐसा स्टूडेंट हो, जिसे बोर्ड परीक्षा से डर न लगता हो. अब नई शिक्षा नीति के तहत स्टूडेंट्स पर पड़ने वाले इस प्रेशर को कम किया जा रहा है. इसके लिए बोर्ड परीक्षाओं को साल में 2 बार कंडक्ट करवाया जाएगा.
इससे स्टूडेंट्स पर परफॉर्मेंस प्रेशर नहीं पड़ेगा और वह अपना बेस्ट दे सकेंगे.
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के हिसाब से नया करिकुलम फ्रेमवर्क लॉन्च किया है (New Education Policy, NEP 2020). अब देश के सभी स्कूलों में उसी के हिसाब से शेड्यूल तैयार किया जाएगा. सिर्फ यही नहीं, पेरेंट्स की जेब पर पड़ने वाले खर्च के बोझ को भी कम करने की कोशिश की जा रही है.
बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट कैसे तैयार होगा?
बोर्ड परीक्षाएं किसी भी स्टूडेंट की जिंदगी का अहम पड़ाव होती हैं. इनका डर एक-दो साल पहले से शुरू हो जाता है. अब बोर्ड परीक्षाएं साल में दो बार होंगी. इससे स्टूडेंट्स को तैयारी के लिए काफी समय मिल जाएगा. इसके साथ ही उनका रिजल्ट बेस्ट स्कोर के आधार पर तय किया जाएगा. स्टूडेंट्स दोनों बार परीक्षाएं दे सकते हैं, फिर जिसमें स्कोर बेहतर होगा, उसे फाइनल रिजल्ट माना जाएगा.
कम होगा कोचिंग का झंझट
अभी तक 10वीं के बाद स्टूडेंट्स पर स्ट्रीम चुनने का झंझट होता था. अब इस कॉन्सेप्ट को भी खत्म किया जा रहा है. स्टूडेंट्स की जिन विषयों में रुचि हो, वह अपनी मर्जी से उन्हें चुन सकते हैं. इसके साथ ही सिलेबस को ऐसे डिजाइन किया जा रहा है कि स्टूडेंट्स को महीनों तक कोचिंग के झंझट में न फंसना पड़े. अब परीक्षा में समझ और दक्षता के आधार पर स्टूडेंट का आकलन किया जाएगा.
बिना कवर के चलेंगी कॉपी-किताबें
स्कूल खुलने से पहले सभी कॉपी-किताबों पर कवर चढ़ाना भी बड़ी जिम्मेदारी का काम होता है. जहां बच्चों के लिए यह किसी फन एक्टिविटी से कम नहीं होता है, वहीं पेरेंट्स की जेब पर अतिरिक्त बोझ की तरह प्रहार करता है. लेकिन अब इस प्रैक्टिस को भी खत्म करने पर विचार किया जा रहा है. इसके अलावा पाठ्यपुस्तकों की लागत को भी कंट्रोल किया जाएगा.